ग़ज़ल
अपना जलवा ज़रा सा दिखा दीजिए
चाँद का शर्म से सर झुका दीजिए
कह सकूँ आपसे प्यार करता हूँ मैं
ऐसा माहौल तो कुछ बना दीजिए
एक बीमारे-उल्फ़त है सामने
उसको उसकी दवाई पिला दीजिए
एक मुद्दत से डूबे हैं हम प्यार में
आज सारे ही पर्दे हटा दीजिए
चोरी चोरी तो मिलते ज़माना हुआ
अब तो खुलकर जहां को बता दीजिए
हर तरफ़ तीरगी दिल के आँगन में है
प्यार की शम्अ फिर से जला दीजिए
दिल उदासी में *साग़र* है डूबा हुआ
प्यार की इक ग़ज़ल ही सुना दीजिए
🖋️विनय साग़र जायसवाल
14/2/2021
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