काव्य रंगोली आज का सम्मानित कलमकार कानुनगो इंदौर मध्यप्रदेश

 

परिचय
ममता कानुनगो इंदौर मध्यप्रदेश


मैंने मनोविज्ञान और समाज शास्त्र विषय में एम ए किया है,और शास्त्रीय गायन में खैरागढ़ युनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया है।
मुझे बचपन से ही लेखन और संगीत में गहन रुचि रही है।
सामाजिक पत्र पत्रिकाओं में  रचनाएं प्रकाशित होती रहती है।

लोकजंग भोपाल समाचार पत्र में लघुकथाएं व कविताएं प्रकाशित
साझा संकलन- व्यक्तित्व दर्पण लघुकथा संग्रह,
काव्य साझा संकलन-साहित्य सरीता, अपराजिता,
संगीत में पंचम सादी खां समारोह में पुरस्कृत व गायन।
नमामि देवी नर्मदे मंच द्वारा गायन में विशेष पुरस्कार।
गणगौर मंच द्वारा भजन गायन में पुरस्कृत।
काव्य रांगोली, साहित्यिक मित्र मंडल जबलपुर, काव्य मंजरी साहित्यिक मंच, उड़ान साहित्यिक मंच,प्रेरणा साहित्यिक मंच, भावांजलि साहित्यिक मंच द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में पुरस्कृत।

*बसंत* *प्रीति*

इंद्रधनुषी गगन,सुरभित है पवन,
पुष्पित हरित धरा,मन को लुभाती है।

मंद स्वच्छंद पवन,मधुर गंध सुमन,
शुचित मुदित मन, प्रीति बढ़ाती है।

सिंदुरी सांझ सुहानी, महकती रातरानी,
तुहिन कण पल्लव, मोती बिखराते है।

प्रकृति की पुलकन,प्रेमभाव मधुवन,
प्रणय निवेदन से, बसंत रिझा रहा।

श्याम राधा स्नेह बंध,गोपियन रासरंग,
ऋतुराज मधुमास,प्रेम बरसाते हैं।

मनभावन बसंत, केसरिया मकरंद,
प्रसून अलि गूंजत, सौंदर्य बढ़ाता है।

सुगंधित तन-मन, आल्हादित है ये मन,
उमंग की प्रीत में, प्रसन्न हो जाइए।

मलय है मदमाती, चांदनी है छिटकाती,
सितारों की लड़ियों से,धरा जगमगाई है।

द्वेष द्वंद छोड़कर, हृदयों को जोड़कर,
शुचित पुनीत प्रेम,मन में बसाइये।

स्वरचित (मौलिक रचना)
ममता कानुनगो इंदौर

नमन मंच
सायली छंद
सुर्योदय

अरुणोदय,
स्वर्णिम लालिमा,
उज्जवल आकाश नवप्रभात,
प्रकृति पुलकित,
आल्हादित।

दिवाकर,
आरुष प्रखर,
सिमटी ओस दोपहर,
तेजस्वी ओजस्वी,
सुप्रभात।

सुर्योदय,
अर्पित अर्घ्य,
जागृत तन मन,
सकारात्मक जीवन,
सुखमय।

आदित्य,
प्रभात ज्योतिर्मय,
मंद सुरम्य पवन,
सुरभित मन,
हृदयानंदित।

ममता कानुनगो इंदौर

नमन मंच
धनाक्षरी
*अंजुरी*

अंजुरी में भर स्नेह,
लागी श्याम संग नेह,
दधि माखन मिश्री से,
कान्हा को रिझाए रही।

मन में बसे मुरारी,
गोवर्धन गिरधारी
चरण धूलि पाकर,
आनंद पाए रही।

चहक रही चांदनी,
महक रही यामिनी,
अंजुरी में चांद भर,
मन मुस्काए रही।

गोपियन वृंदावन,
राधारानी मधुवन,
कृष्ण की मुरली सुन,
रास रचाए रही।

ममता कानुनगो इंदौर

विषय आराधना
विधा-सेदोका
5-7-7,5-7-7

भावपूरित,
करुं मैं समर्पित,
ईश तेरी वंदना,
साध मन को,
तप उपासना से,
करूं मैं आराधना।

पुष्प दल,
मन की सुगंध से,
कर्म की कलम से,
अभिव्यंजना,
सत्यप्रकाश दो हमें,
प्रभु सुनो प्रार्थना।

मन तरंग,
नवरस के संग,
नादयोग ही सत्य,
ह्दयदल,
स्वीकारो हे! नाथ,
अर्पण सद्भावना।
ममता कानुनगो

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