डॉ बीके शर्मा

 "चल साकी"

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पग-पायल झनकार लिए आ

नयनों में कटार लिए आ

भला बुरा यह कहती दुनिया 

पल दो पल तू प्यार लिए आ


रोना-गाना  तो दुनिया में

यूं ही चलता रहता है

लगता आंगन छोटा मुझको 

तू सारा संसार लिए आ


आने वाला जग जाता यहां

जाने वाला सो जाता

तेरा मेरा संबंध यहां है 

सांसों के दो तारे लिए आ


एक दूजे का हाथ थाम कर

एक दूजे की बात मानकर 

"चल साकी" इस जगती से

चलने को रफ्तार लिए आ


 डॉ बीके शर्मा

 उच्चैन भरतपुर( राजस्थान)

9828863402

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