सुषमा दीक्षित शुक्ला

शीर्षक     चौपट कर दी 

हास्य कविता 

चौपट कर दी अबकी होली,
 इस कोरोना ने भइया ।

 सैनिटाइजर की बोतल ही है,
अब  पिचकारी रे दइया ।

पूरा चेहरा मास्क छिपा है ,
भौजी ,साली ,मइया ।

अब कैसे मैं रंग लगाऊँ ,
 समझ ना  आवे   भइया ।

बंद नगाड़े ढोल तमाशे ,
ना है  छइयां  छइयां 

 भांग और  ठंडाई भूलो ,
काढ़ा पियो रे दइया ।

चौपट कर दी अबकी होली ,
इस कोरोना ने भइया ।

लॉक डाउन से डरे हुए कुछ,
कुछ कोरोना से दइया ।

दफा चवालीस लगी हुई है,
कैसे  हो ता थइया  ।

चौपट कर दी अबकी होली ,
इस कोरोना ने भइया ।

सुषमा दीक्षित शुक्ला

कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...