निशा अतुल्य

हम दोनों 
29.5.2021

शाम ढली और रात अंधेरी
साजन साथ चले ।
नहीं कमी रही जीवन में कभी
जब नई राह गढ़े ।

शुरू किया जब सफ़र साथ में
तब भी थे हम दोनों
अंत समय में फिर से साजन 
हम दोनों ही हैं ।

पाल-पोस बड़ा किया था जिनको
वो मस्त अपने में रहे।
हम दोनों भी मस्त रहेंगे
जब हम साथ चले ।

छोडों सब बेकार की बात
कुछ न कान धरें
एक दूजे को खुश रखेगें
बस ये बात करें ।

तुम बन जाना छड़ी हमारी
मैं साहस हूँ तेरा 
नहीं किसी विपदा से हारे
जब मन प्रण धर ले।

स्वरचित
निशा"अतुल्य"

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