नूतन लाल साहू

ये लफ्ज आईनें है

सुनों सुनोंं प्यारे
बातें तो है,बहुत पुरानी
पर है ये अमर कहानी
यहां बड़े बड़े बलवान हुए
धनवान हुए,गुणवान हुए
पर इस दुनिया में
कोई न बचे
जिसने भी अच्छा कर्म किया
उसका गाथा अमर हुआ
अंत समय में उसने मुक्ति पाया
ये लफ्ज आईनें है
मानुष जन्म उन्ही का सफल हुआ
चुन चुन लकड़ी महल बनाया
मूरख कहें घर मेरा
ना घर तेरा ना घर मेरा
चिड़ियां रैन बसेरा
जब तक पंछी बोल रहा है
सब राह देखें तेरा
प्राण पखेरु उड़ जाने पर
कौन कहेगा मेरा
जीवन की डोर जिसने भी किया
हरि के हवाले
उसके जीवन में,हर रोज
आया इक नया सवेरा
ये लफ्ज बोलते है
मन का झुकना बहुत जरूरी है
मानुष जन्म उन्ही का सफल होता है
जो भी आया,प्रभु जी के शरण में
उसे ही, भव से पार उतारा
जो पड़ा,माया मोह के चक्कर में
उसे बीच भंवर में छोड़ा
ये लफ्ज आईने है
जिसे मिला प्रभु जी का सहारा
मानुष जन्म उन्ही का सफल हुआ

नूतन लाल साहू

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