जयप्रकाश चौहान अजनबी

*विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर स्वरचित गीत*

*शीर्षक:- बीड़ी -सिगरेट पीना नही*

 मैं कभी ये नहीं कहता कि तुम शौक मत करना।
पर घी दूध छोड़ तम्बाकू का भोग मत करना।


बीड़ी -सिगरेट ,बीड़ी -सिगरेट पीना नहीं।
घी -दूध को छोड़कर घी- दूध को छोड़कर ।

पल-पल बीड़ी तेरा गला जलाएगी। 
सिगरेट तेरे गले में छालो को बुलाएगी।
जब बीड़ी पिएगा तेरा फेफड़ा गलाएगी ।
इस सुडौल काया को  जर्जर कर जाएगी।

 बीड़ी -सिगरेट बीड़ी -सिगरेट......

तुमने बीड़ी को पिया उसका स्वाद लिया।
तूने पगले जान के रोग को न्योता दिया ।
अब बन गया आदि तूने यह नया रोग लिया ।
तब ना सोचा ना समझा यह कैसा भोग किया।

 बीड़ी -सिगरेट बीड़ी -सिगरेट......

अब तुझको यह बीड़ी की आदत तड़फाएगी।
ना पिएगा तो तुझे चैन से नींद ना आएगी ।
अगर तुम सिगरेट छोड़ना भी चाहोगे ।
तो तुम जानकर भी ना छोड़ पाओगे ।

बीड़ी -सिगरेट बीड़ी -सिगरेट...... 

अब सुन ले मेरे यारा तू वादा निभाना ।
इस बीड़ी सिगरेट को तू कर दे बेगाना ।
तंबाकू को छोड़ अब अच्छा बन के दिखाना।
अजनबी कहे तब तुझे इज्जत देगा यह जमाना ।

बीड़ी- सिगरेट बीड़ी- सिगरेट पीना नहीं ।
घी -दूध को छोड़ के घी -दूध को छोडक़े।

 जयप्रकाश चौहान अजनबी
 जिंदोली,अलवर(राजस्थान)

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