नशा नाश की जड़ है
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विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर,
जनमानस को समझाता हूँ।
नशा नाश की जड़ है भैया,
अवगुण इसके बतलाता हूँ।।
दोस्त मित्र चुटकी भर देते,
फिर हम ही आदी बन जाते।
धीरे-धीरे परवान चढ़े,
नहीं मिले,कुछ भी कर आते।।
पावन पवित्र शरीर हमारा,
गाल गलाये गुटखा खाकर।
दाँतों की मनभावन शोभा,
हर कोई बतलाये आकर।।
बीड़ी,सिगरेट जान लेवा,
धुआं उडाते है सम्मान से।
कितना भी समझालो उनकों,
डरते नहीं है अपमान से।।
खाँस-खाँस कर शोर मचाते,
घर वाले होते परेशान।
दुष्परिणाम की जब बात करो,
बन जाते है वो ज्ञानवान।।
छोटे-बड़े युवा किशोर सब,
मिलकर जब जर्दा मसलते है।
बार-बार,थप-थप से अपनी,
बहुत बड़ी शान समझते है।।
समय रहते नहीं सुधरे तो,
कोरोना से जुड़ जाओगे।
कई बिमारियों से एक साथ,
फिर कैसे तुम बच पाओगे।।
पान मसाला गुटका खाकर,
इतराते रहते इधर-उधर।
कर जोड़ नम्र निवेदन मेरा,
लत छोड़ नशे की,अब सुधर।।
©®
रामबाबू शर्मा,राजस्थानी,दौसा(राज.)
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