चंचल हरेंद्र वशिष्ट

🙏🚩'भक्त विनय'🚩🙏
चैत्र शुक्ल नवमी तिथि आई,चहुँ ओर खुशियाँ हैं छाईं।।
शुभ दिन मंगल बेला आई,जन्में अवध में श्री रघुराई।।
नारायण अवतार सुहाई,राजमहल में बजत बधाई।।
भक्तों ने यह टेर लगाई,प्रभु श्रीराम दरस सुखदाई।।

महामारी कोरोना छाई,तुमसे ही प्रभु आस लगाई।।
आकर प्रभु हरो विपदाई,काहे अब तक देर लगाई।।
घोर निराशा है अब छाई,एक आस अब तुम रघुराई।।
दुख की ऐसी बदरी छाई,सुख की किरण न देत दिखाई।।

असुरों से मुक्ति थी दिलाई,आए थे जब त्रेता रघुराई।।
कलयुग में महामारी आई,चले न कोई उपाय मिटाई।।
कोरोनासुर की अधिकाई,आन मिटाओ अब रघुराई।।
विनय हेतु 'चंचल'प्रभु आई,दिखलाओ अपनी प्रभुताई।।

'आस और  विश्वास हमेशा बना रहे जगदीश!
हाथ जोड़ विनती करें हम, कृपा करो हे ईश!'

स्वरचित एवं मौलिक रचना:

चंचल हरेंद्र वशिष्ट,नई दिल्ली
हिंदी प्राध्यापिका ,थियेटर शिक्षिका एवं कवयित्री

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