सुनीता असीम

जिसे अपना बनाना चाहिए था।
उसे पहले   बताना चाहिए था।
*****
दिवाने जो हैं डरते आशिकी में।
उन्हेंं हिम्मत बंधाना चाहिए था।
*****
ठिकाना जब नहीं तुमको मिला तो।
मेरा दिल ही    ठिकाना चाहिए था।
*****
तुम्हें मेरे ही दिल में जो था रहना।
तो पहले घर बनाना चाहिए था।
*****
 हसाकर क्यूं रुलाया था कन्हैया।
नहीं मथुरा को जाना चाहिए था।
****
जो चाहत थी मेरी ही आपको तो।
मेरे अरमाँ जगाना     चाहिए था।
****
न रहना था पड़े चुपचाप तुमको।
कभी हक भी जताना चाहिए था।
****
मेरे आंसू की कीमत तुम हो मोहन।
तुम्हें  आके दिखाना चाहिए था।
****
सुनीता असीम
१/६/२०२१

कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...