आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी चंचल

पावनमंच को मेरा सादर प्रणाम, आज के विषय में लेखनी समाज व परिवार को ताकत व बुलन्दियों तक अँटाने वाली शख्सियत ।। महिला।। पर चली है,अवलोकन करें....                                 हुँकारु रही महिला यहु काल दिनानु गुलामी के बीति गये हैं।।                              दीवारी चहर बहु कैदु रही सबु दुक्ख गये सपने जो नये हैं ।।                         परदा सती औ सभी कुप्रथा कै होली जली सुरलोकु गये हैं।।                              भाखत चंचल हिन्द मही अबु बेटी हमारी जे शस्त्र नये हैं।।1।।                         खेत मकान दुकान सबै अबु शासन केरि ये प्लान नये हैं।।                          पुरूष प्रधान कै बाति पुरान विधान नये सपने भी नये हैं ।।                               कालेज शिक्षा मा आगे खडी़ ऊ सजी सँवरी परिधानु नये हैं।।                           भाखत चंचल शिक्षक परीक्षक बार्डर सीना हु तानि गये हैं।।2।।                           काज नही जग केरे कोई महिला जेहिसे अनजान रही हो।।                                  चिकित्सा गनी याकि थाना अदालत कोर्ट महूँ ऊ सवार सही हो।।                    बागवानी गनी याकि खेती किसानी खेलौ मँहय हुँकार मही हो।।                      भाखत चंचल विधायकु सांसदु मंन्त्री की पंक्ति पुकार रही हो।।3।।।                चूल्हा औ चौका कै बातु पुरानि वहव अबु काँध से काँध मिलावै।।                       स्कूलनु पाठ कही या सिपाहिनु अब कप्तानु कै कुरसी सजावै।।                    पीयम सीयम या कही डीयम खेतु कौनु महिला ना सुहावै।।                                  भाखत चंचल वक्त कै बात पुरूष अबु महिलनु पाछेनु धावै।।4।।                      आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी, चंचलः ओमनगर, सुलतानपुर, उलरा,चन्दौकी,अमेठी ,उ.प्र.।। मोबाइल..8853521398,9125519009।।

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