*।।वरिष्ठ नागरिक।।*
*।।बस चलते रहना ही जिंदगी है।।*
*।।विधा।।मुक्तक।।*
1
अभी बहुत दूर जाना और
जिंदगी अभी बाकी है।
जोशो ओ जनून बने जाम
ओ जिंदादिली बने साकी है।।
हर पल कुछ करते सोचते
रहो काम कोई नया तुम।
ठहर गये जिस पल तो
बनेगी ज़िंदगी बैसाखी है।।
2
यह अंत नहीं दूसरी
पारी की शुरुआत है।
आप यूँ खाली नहीं लिये
अनुभव की सौगात हैं।।
जो अनसुलझी रही पहेली
वक्त मिला हल करने का।
अपनी रुचियां पूरी करने
की तो आज हर बात है।।
3
सुख मय जीवन जीने का
हर पल आपके पास है।
भटक गये जो रिश्ते उन्हें
संवारने की अब आस है।।
तेजी से बदल रही दुनिया
कदम मिलाकर चलें साथ।
इस नाजुक दौर में ध्यान
रहे स्वास्थ्य का खास है।।
4
नजर घुमा कर देखोअनेक
काम घर में ही करने को।
लिखो पढ़ो देखो खेलो इस
अवसाद को अब हरने को।।
बहुत कुछ नया अब भी
जान सकते हैं इस उम्र में।
ये सोचो कि अभी सीखना
और वक्त नहीं डरने को।।
*रचयिता।।एस के कपूर"श्री हंस"*
*।।बरेली।।*
*।।रचना शीर्षक।।*
*।।तेरे मीठे बोल ही संबको याद*
*आयेंगें।।*
*।।विधा।।मुक्तक।।*
1
चार दिन की जिन्दगी फिर
अंधेरा पाख है।
फिर खत्म कहानी और
बचेगा धुंआ राख है।।
अच्छे कर्मों से ही यादों में
रहता है आदमी।
तेरे अच्छे बोल व्यवहार से
ही बनती साख है।।
2
कब किससे कैसे बोलना यह
मानना बहुत जरूरी है।
इस बुद्धि कौशल कला को
जानना बहुत जरूरी है।।
शब्द तीर हैं कमान हैं देते हैं
घाव गहरा बहुत।
हर स्तिथी को सही सही
पहचानना बहुत जरूरी है।।
3
साथ समय समर्पण दीजिए
आप बदले में यही पायेंगे।
जैसा बीज डालेंगें धरती में फल
वैसा उगा कर लायेंगे।।
सम्मान पाने को सम्मान देना
उतना ही है जरूरी।
बस तेरे मीठे बोल ही सदा
संबको याद आयेंगें।।
*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।।।*
मोब।।।।। 9897071046
8218685464
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