सुनील कुमार गुप्ता

कविता:-
       *"उपदेश"*
"देते रहे उपदेश वो तो साथी,
किया नहीं कोई काम-
करते रहे आराम।
मिल जाये सुख  सारे जग मे,
कभी भजा नहीं -
प्रभु का नाम।
बैठे -बैठे देते रहे उपदेश,
बना कर संतो का-
छद्म वेष धर कर नाम।
मुँह में राम बगल में छुरी,
करा नहीं जीवन में-
कोई भला काम।
राम नाम की महिमा का, 


करते रहे गुणगान-
पहचाना न किया कोई काम।
देते रहे उपदेश वो तो साथी,
किया नहीं कोई काम-
करते रहे आराम।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःःःःःः          सुनील कुमार गुप्ता
    14-03-2020


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