सुंदर सोच-
आँसुओं से भरी जिंदगी,
दर्दे दोज़ख़ से होती है बढ़कर।
बेसमय मौत इसकी दवा है-
करना ऐसा नहीं होता हितकर।।
लोग कहते हैं फाँसी पे ख़ुद को,
है चढ़ाना बहुत कायराना।
ज़िंदगी खूबसूरत सफ़र है,
ऐसे-तैसे में उसको गवाँना।
गिरना-उठना औ फिर उठ के गिरना,
बस यही ज़िंदगी का तकाज़ा।
ज़िंदगी के हर इक पल को जीना-
होता सदा जग में सुख कर।।
आते तूफ़ान जो ज़िंदगी में,
उनको आना है, आते रहेंगे।
काम है छोटे दीपक का जलना,
उसको तूफाँ बुझाते रहेंगे।
ग़म नहीं चाँदनी को भले ढक लिया,
जो छाये रहे नभ में बादल।
देते मौक़ा उसे ही तो बादल-
निकलने का ख़ुद फिर से छट कर।।
ज़िंदगी के कुरुक्षेत्र में,
पाण्डु-कौरव सदा ही रहे हैं।
पांडु साहस औ धीरज से अपने,
दंड कौरव के सारे सहे हैं।
युद्ध होना था वो तो हुआ ही,
और लड़ना पड़ा अपने लोंगो से।
पर,सफलता मिले बस जरूरी-
सारथी कृष्ण सा होना बेहतर।।
पतली धारा निकल पर्वतों से,
करती संघर्ष है जब उतरती।
धर के आकार विस्त्रित धरा पे,
वो उमड़ती-घुमड़ती है बहती।
पिलाती जलामृत सभी जंतुओं को,
बहती-जाती अवनि पे निरंतर।
अंत में उसको मिलता मिलन-सुख-
संग सागर जो होता श्रेयस्कर।।
मुश्किलों में तराशा मुसाफिर,
अपनी मंज़िल का बनता चहेता।
बस उसी को नहीं कुछ है मिलता,
जोखिमों से जो मुँह मोड़ लेता।
लड़ते-लड़ते अखाड़े का अंतिम,
होता योद्धा ही उत्तम विजेता।
घिसते-घिसते शिला पे ही मेंहदी-
सुर्ख़ होती सुनो, मेरे प्रियवर।।
ज़िंदगी के हर इक पल को जीना, होता सदा जग में सुखकर।।
©डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372
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