सुनील कुमार गुप्ता

कविता:-


        *"तूफान"*


"प्रकृति का तूफान तो साथी,


थम ही जायेगा-


कर के कुछ नुकसान।


कारण खोजो फिर न आये,


प्रलय सा तूफान-


सफल हो ये अभियान।


सब कुछ सहज हो जाता साथी,


उठता न जो मन में-


अपनो के अपमान से तूफान।


बड़ा मुश्किल है जीवन में साथी,


थामे उस तूफान को और-


मन आये अभिमान।


अहंकार मे डूबे हुए जग मे,


मिट गये बड़े -बड़े नाम-


रहा न उनका धरती पर नामो निशान।


तूफान तो तूफान है साथी,


प्रकृति का कोप हो-


चाहे मन छाया अभिमान।।"


ःःःःःःःःःःःःःःःःःः सुनील कुमार गुप्ता


 


ःःःःःःःःःःःःःःःः


           04-06-2020


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