डॉ0 रामबली मिश्र

फिर भी बहुत जरूरी पीना


 


भोजन का है नहीं ठिकाना।


फिर भी बहुत जरूरी पीना।।


 


मन कहता जीना या जी ना।


पर देखो पीने का सपना।।


 


बीबी-बच्चों की मत सुनना।


रोटी की मत चिन्ता करना।।


 


पीने से बस मतलब रखना।


फटेहाल ही जीते रहना।।


 


लगा हुआ है जीना मरना।


इससे कभी न विचलित होना।।


 


जीने का मतलब है पीना।


भले झोपड़ी में ही रहना।।


 


मेहनत करके पैसे पाना।


पी कर सायं घर को आना।।


 


मुँह से बदबू भले उगलना।


फिर भी आवश्यक है पीना।।


 


भले राह में गिरना-पड़ना।


फिर भी आदत नहीं छोड़ना।।


 


भले कर्ज लेकर हो पीना।


या पत्नी को गीरो रखना।।


 


भूजी भाँग भले घर में ना।


फिर भी जीने को है पीना।।


 


सूदखोर की गाली सुनना।


जीवन को ही पीते रहना।।


 


रचनाकार:डॉ0रामबली मिश्र हरिहरपुरी 


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