रहे याद सदा भूले ना कभी, बलिदान उन वीर जवानो का
मर मिटते है सीमा पर जो रहे मान उन वीर जवानो का
आज मुख पर जो आजादी कि लाली ये हमने पाई है
ये रंगत उनके लहू की है परिणाम है उनकी जानो का
हम अपने घर पर अक्सर जो ये चैन की सांसे लेते है
ये उनकी बदौलत संभव है करते जो वरन तुफानो का
हम ये जो तिरंगा फहराते ये उन जानो की कीमत है
ये शान जो उसकी सलामत है ये त्याग है वीर जवानो का
है खड़ा हिमालय अडिग जो है पल पल का पहरेदार है वो
वहां बिखरी पड़ी बर्फ पर है अनकही कहानी जवानो की
करती हूँ नमन मै उन सबको पाए जो वीरगति को है
नहीं कोई भी कीमत मुझ पर दे दू जो वीर जवानो को
कहो लिखें वंदिता कैसे अब ये दर्द भरी पाती उनकी
लिखा होता माँ भारती को प्रणाम लहू से जवानो का ।
विजयश्री 'वंदिता'
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