डॉ0 निर्मला शर्मा

ऑक्सीजन की कीमत 

कोरोना ने आज 
हमें ऑक्सीजन की 
कीमत समझाई है।

मानव ने किया निरन्तर,
प्रकृति का दोहन,
सजा उसी की पाई है।

साँसों का होता है
आज कारोबार
पर पेड़ों का हमने
कभी नहीं माना उपकार।

सदैव दोहन किया
 प्रकृति का
लगाए न पेड़
धरती को रौंदा।

आज उसी धरती ने
पलटकर प्रदूषण की
हानि समझाई है।

रोका न गया
प्रदूषण को अगर
जीवन की डोर
टूट जानी है।

स्वस्थ रहने के लिए
हमें धरती को
बचाना होगा।

एक-एक पौधे को
सहेज कर समाज को
मिल जगाना होगा।

साँसों की डोर
टूटे न कभी मिले
सभी को स्वच्छ वातावरण।

सिलेण्डर लगाने की
नौबत न आये मिले
सभी को सुभाषित आवरण।

पृथ्वी दिवस पर 
आज विनती है 
सभी संकल्प लें।

जीवनदायी इस ग्रह
पर बचाना है जीवन
सभी का प्रतिज्ञा करें।

डॉ0निर्मला शर्मा
दौसा राजस्थान

कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...