नेता जी मच पर बैठे नेता जी

नेता जी


मच पर बैठे नेता जी
सुनकर मेरी कविता
खूब मुस्कुरायें, 
खिलखिलायें.
तालियाँ बजायें,
फिर बुलाकर मुझे मंच पर 
थपथपायें मेरी पीठ,
थमाकर सौ रुपये का नोट 
बढ़ाये मेरा हौसला।
फिर धीरे से बोले :
"ये लो मेरा कार्ड
पड़े जब जरुरत
नि:संकोच करना मुझे याद
मैं जरुर आउँगा आपके काम।"


मैं हो गया गदगद
सुनकर नेताजी की बात
सोचा -
जरुर करुँगा 
नेताजी से मुलाकात।


एक दिन 
समय निकालकर
मैं नेताजी के घर आया, 
उन्हें एक अर्जी-पत्र थमाया, 
पत्र विना पढ़े 
नेताजी ने किया सवाल- 
"आपके घर कितने सदस्य हैं जनाब? 
इलेक्शन में
हमें कितने वोट दिलवा सकते हैं आप? 
अपने परिवार से
हित, नात, परिचित, रिश्तेदार से।"
 मैंने कहा रखके सीने पे हाथ -
 "सिर्फ एक ..."


नेताजी अर्जी-पत्र दिए फेक ।


-दीपक शर्मा 
जौनपुर उ. प्र.


निशा"अतुल्य"

विधा     कविता
5/ 2/ 2020
     कविता 
कविता मेरे मन भाव की
उपवन में महक फूलों की 
स्वछंद उड़े तितली बनके
गुंजार है उसमें भँवरें की।


कभी विरह की बात उठे
कभी मिलन की रात लिखूँ
कभी हँसना हंसाना सँग चले
कभी रूठों की मनुहार लिखूँ ।


भाव जो मन में उठते हैं 
प्रबल वेग से बहते हैं 
मैं बांध न इनको साथ रखूं
ये मसी कागज पर बहते हैं।


न छंद लिखूं न गजल कहूँ
ये अपने मे मस्त ही रहते हैं 
भावों को पिरोकर शब्दों को
ये सँग जीवन के बहते हैं ।


अब साँस साँस में बसती है 
जीवन की धड़कन बन बैठी है 
कविता मेरी कविता बन कर
ह्रदय पटल भावों से भर बैठी है ।


स्वरचित
निशा"अतुल्य"


सत्यप्रकाश पाण्डेय

तुम्ही हमारे हमदम तुम्ही से प्यार करते है
तुम्ही हमसफ़र हो हमारे इजहार करते है


जीना मरना रहेगा मेरा साथ तुम्हारे ही प्रिय
रहेंगे सदा साथ ही तेरे ये इकरार करते है


तरसती है आँखें जब तक नहीं देख पाते
हर पल तुम्हारे दीदार का इंतजार करते हैं


कैसे कहें अपने दिल की लगी किसी से हम
न कोई तुम्हारे सिवाय जिससे प्यार करते है


जानेमन जानेजिगर दिलजुबा हो तुम हमारी
तुम्हीं हो जिसपर सारा जहां निसार करते है।


सत्यप्रकाश पाण्डेय


मेरी धड़कन हो...* विधा : कविता

*मेरी धड़कन हो...*
विधा : कविता


धड़कता दिल अब मेरा,
तुम्हारे ही लिए।
मेरी दिल की धड़कन,
 बन जो गई।
मुझे पता ही नही,
ये हुआ कैसे।
अब भूलना भी चाहूं,
पर भूलता ही नहीं।।


निकलती है दिल से वो,
हर सांस तुम हो। 
जो बोले बिना ही,
व्या कर देती।
चोट लगती है तुमको,
दर्द मुझे होता है।
क्या हाल हो गया, 
मेरी जिंदगी का।।


तुम्हें क्या होता है,
मुझे नहीं पता।
दीवानापन मुझ में शमा,
सा गया है।
तड़प मिलने की है तो,
तड़प में भी रहा।
मिलन की शुभ घड़ी,
दोनों देख रहे।।
दोनों देख रहे ...।।


जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)
05/02/2020


दिल्ली चुनाव  - लेकर निकल पड़े सभी, तीर और  तलवार।

😄😄 -  दिल्ली चुनाव  - 😄😄


लेकर निकल पड़े सभी, तीर और  तलवार।
इक-दूजे  पर  कर  रहे, जोर-जोर  से वार।


दिल्ली  का दिल जीतने, लगा रहे सब जोर।
ख़ुद को  सब  साधू  कहें, और गैर को चोर।


मुद्दे की  न  बात  कभी, कीचड़ रहे उछाल।
एक  नहीं  सबका  यही, देख  रहे  हैं  हाल।


दिल्ली दिन-दिन हो रही,कहते हैं  बदहाल।
फ़िक़्र नहीं उसकी उन्हें, बजा रहे बस गाल।


सोच-समझ कर आमजन, करें वहाँ मतदान।
दिल्ली किसके दिल बसी,करें प्रथम पहचान।


                  ।।राजेंद्र रायपुरी।।


भावनाओं का खेल है भाव से ही संसार है

भावनाओं का खेल है
भाव से ही संसार है
भावनाएं यदि शुद्ध हों 
तो भव से बेड़ापार है


भावनाएं हमारी नाथ
आपको समर्पित हैं
भक्त वत्सल भगवान
जीवन भी अर्पित है


भक्तों के भाव समझो
भवसागर उद्धारक
भावनाएं आहत न हों
जगकर्ता जग कारक


भोर की किरण हो तुम
मेरी भंवर में है नैया
भक्तों का त्रास हरो तुम
भक्त नाव के खिवैया।


भक्तवत्सल श्री श्याम के चरणों में नमन🙏🙏🙏🙏🙏💐💐💐💐💐


सत्यप्रकाश पाण्डेय


काह करौं श्याम* विरहागन ताप पजारै हिया,

*काह करौं श्याम*


विरहागन ताप पजारै हिया,
टप टप नैना बरसैं आली।
बेसुध सी हाल बेहाल भई,
कुम्हलानी रंगत री लाली।


सखी सांस उसांस पैंजनी चुप,
गैंयां बिनु श्याम  उदास रहाय।
बृज गैल सून  दोहनि रूसी,
मंथर कालिंदी सखी बहाय।।
बृज गैल जमुना तट मधुवन मँह ,
भरमावत रसिया वनमाली।।
*कुम्हलानी रंगत री.......*


टोना सो करा नटखट कान्हाँ,
सखी भूलि  गई सिंगार बरै।
बेनु बजाय रिझाय लई,
छलिया बृजराज री! चित्त हरै।।
कारो कनुआ मनभाय गयो,
मोय नारी लगैं अंखियाँ काली।।
*कुम्हलानी रंगत री.......*


वादा झूठे सब सपने टूटे,
काय छांड़ि चले मथुरा जू कहो ।
मृगतृष्ना सी हिय  चाह विकल,
निशि वासर  विरहा ताप सहौ।।
श्मसान भयो वपु श्याम बिना,
बेसुध सी भई बृज की लाली।।
*कुम्हलानी रंगत री.......*



*प्रखर दीक्षित*
*फर्रुखाबाद*


गीतिका दिल्ली धरना से अकुलायी दिल्ली ।

प्रखर दीक्षित
फर्रुखाबाद


गीतिका
दिल्ली


धरना से अकुलायी दिल्ली ।
किसने ये सुलगायी दिल्ली।।


टुकड़े पत्थर गरल वाणियाँ,
राह पतन अपनायी दिल्ली ।।


कहीं ही ईंट कहीं कि रोड़ा,
आकर भक्त पिटाई दिल्ली।।


खुद न समझे न समझा पाए,
आ बेसुरी बीन बजायी दिल्ली।।


हम करें भरोसा कैसे उन पर,
जिनके हाथ सतायी दिल्ली ।।


इंकलाब से देश निखरता,
पर नारों ही परजायी दिल्ली।।


बदनियती की ढहेगी लंका,
सिया सी दाना पाई दिल्ली।।


लिख कर हाल-ए-दिल मुझसे..दिखाया ना गया

लिख कर हाल-ए-दिल मुझसे..दिखाया ना गया
इस चश्मे-तर आंखों को मुझसे छिपाया ना गया


सितम क्या हुआ जख्मी दिल के साथ मेरे मौला
निशां बदन पर चोट का मुझसे मिटाया ना गया


वक्त ने बहुत तालीम दे दी जाते जाते फकीर को
इश्क में हद से गुजरना मुझसे सिखाया ना गया


रात कोरी मेरे आंगन से यूँ  चुपचाप गुजरने लगी
बाहों में भर के चाँद रात मुझसे बिताया ना गया 


फेर कर रूख बैठी है हाँथ की लकीरें आज भी
जोड़ दे जो हाँथ को वो साथ मिलाया ना गया


खाक जो परी है मेरे जलते हुए से पांव पर तो
ज़हर  चाहत का वापस उसे खिलाया ना गया 



 Priya singh


मत्त सवैया तन मन सब पावन तुलसी सम,

मत्त सवैया


तन मन सब पावन तुलसी सम, अधरन से रस धार बहाती।
इस हिय को प्रिय लगती हैं वो, नयनन को भी बहुत सुहाती।
वो  प्यार  पगी बातें करके, इस  मरु  उर  पर जल बरसाती।
हिरनी सम बल ख़ाकर चलती, मुँह ढककर के मृदु मुस्काती।


अवनीश त्रिवेदी "अभय"


बहुत कुछ सिखाती    बताती  पढ़ने   की  हर  इक  किताब।

* *विषय।।।।।बच्चों को सीख।।।।।।।।।।।।*
*पुस्तक।।।।।।।।किताब।।।।।।।।।।।*
*।।।।।।।।।।मुक्तक।।।।।।।।।।।।।।।।*


बहुत कुछ सिखाती    बताती 
पढ़ने   की  हर  इक  किताब।


दिखाती जगाती   हम  सबमें
संस्कार    सपने      जज्बात।।


पुस्तक   होती    सच्ची   मित्र 
विकसित   करती   चरित्र  है।


अच्छे  पाठकों     ने    पायें हैं
जीवन   में  असंख्य   खिताब।।


*रचयिता।।।।एस के कपूर श्री*
*हंस।।।।बरेली।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।*
मोब 9897071046।।।।।।।।।।।।।।
8218685464।।।।।।।।।।।।।।।।।।।


बदले नहीं व्यवहार अपना

*बदले नहीं व्यवहार अपना*
*।।।।।।।मुक्तक।।।।।।।।।*


किताब हो जाये पुरानी पर
अल्फ़ाज़  नहीं  बदलते  हैं।


चाहते जो  दिल से सदा पर
लिहाज़  नहीं    बदलते  हैं।।


बदलते  नहीं   वह देख कर
कभी    फितरत ज़माने की।


वक्त  की   तेज    रफ़्तार  में 
अपनाअंदाज़ नहीं बदलते हैं।।
*रचयिता।।।।एस के कपूर*
*श्री हंस।।।।बरेली।।।।।।। ।।*
*मोब   9897071046  ।।।*
*8218685464  ।।।।।।।।।*


आया बसंत सज धज कर के

*विविध मुक्तक।।।।।।।।।।।।*


आया बसंत
सज धज कर के
ठंड का अंत


चली है हवा
चहुं ओर महक
रही चहक


कैसा संसार
पुण्य का फल यहाँ
होता बेकार


प्यार हो कैसा
साबित नहीं होता
ये बिन पैसा


ये तक़दीर
बदल सकती है
यह लकीर


प्रेम  व  स्नेह
अनमोल तोहफा
आत्मीय नेह


खून रवानी
पहचान जोश की
यह जवानी


*रचयिता।।एस के कपूर*
*श्री हंस।।।।।।।बरेली।।*
मो 9897071046।।।
8218685464।।।।।।


सुरभि सुहानी"* "मधुमास छाया मौसम में,

नाम:- सुनील कुमार गुप्ता
S/0श्री बी.आर.गुप्ता
3/1355-सी ,न्यू भगत सिंह कालोनी,बाजोरिया मार्ग, सहारनपुर-247001(उ.प्र.)



कविता:-


     *"सुरभि सुहानी"*
"मधुमास छाया मौसम में,
महकने लगा धरती अंबर-
सुरभि सहानी बहने लगी।
भौरो की गुंजन भी यहाँ,
अपनी अलग ही-
कहानी कहने लगी।
रंग-बिरंगी तितलियों से,
जीवन में पग पग-खुशियाँ छाने लगी।
मदहोश करता ये मौसम,
प्रेयसी मिल -
प्रेम गीत गुनगुनाने लगी।
मधुमास छाया मौसम मे,
महकने लगी धरती अंबर-
सुरभि सुहानी बहने लगी।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःःःःः          सुनील कुमार गुप्ता
sunilgupta.abliq.in
ःःःःःःःःःःःःःःःःःः          04-02-2020


एस के कपूर श्री हंस स्टेडियम रोड बरेली(ऊ प) कविता विविध मुक्तक माला

एस के कपूर श्री हंस
स्टेडियम रोड
बरेली(ऊ प)
कविता
विविध मुक्तक माला।।।।।।।
1,,,,,,,
।।।आंतरिक शक्ति।।।।।।।। 
।।।।।।।।।।मुक्तक।।।।।।।।।।।
मत  आंकों     किसी  को    कम ,
कि सबमें कुछ बात होती है।


भीतर छिपी प्रतिभा कीअनमोल,
  सी    सौगात     होती   है।।


जरुरत है तो  बस उसे पहचानने,
और फिर निखारने  की।


तराशने  के बाद  ही  तो  हीरे से,
मुलाकात    होती     है।।


रचयिता।।।।एस के कपूर श्री हंस
बरेली।।।।।।।।।।। ।।।।।।।।।।।।
मोब  9897071046।।।8218685464।।।।।।।।
2,,,,,,
।। सफलता का सम्मान।।।।।।।।।।।।।।।।
।।।।।।।।।।।।मुक्तक।।।।।।


नसीबों  का   पिटारा   यूँ    ही
कभी खुलता नहीं है।


सफलता का सम्मान जीवन में
 यूँ ही घुलता नहीं है।।


बस कर्म  ही लिखता है  हाथ
की   लकीरें  हमारी ।


ऊँचा  हुऐ बिना  आसमाँ  भी
कभी झुकता नहीं है।।


रचयिता।।।।।एस के कपूर
श्री हंस।।।।।।बरेली।।।।।।
मोब  9897071046।।।।।
8218685464।।।।।।।।।।
3,,,,,
सत्य कभी मरता नहीं है।।।।
।।।।।।।।।मुक्तक।।।।।।।।।।


सच  कभी    मरता    नहीं
हमेशा  महफूज़   होता है।


ढेर में दब कर  भी जैसे ये 
चिंगारी और फूस होता है।।


लाख छुपा ले कोई उसको
काल  कोठरी   के  भीतर।


सात  परदों के पीछे से भी
जिंदा   महसूस   होता  है।।


रचयिता।।।।एस के कपूर श्री
हंस।।।।।।बरेली।।।।।।।।।।।
मोब  9897071046।।।।।।
8218685464।।।।।।।।।।।
4,,,,
सत्य कभी मरता नहीं है।।।।
।।।।।।।।।मुक्तक।।।।।।।।।।


सच  कभी    मरता    नहीं
हमेशा  महफूज़   होता है।


ढेर में दब कर  भी जैसे ये 
चिंगारी और फूस होता है।।


लाख छुपा ले कोई उसको
काल  कोठरी   के  भीतर।


सात  परदों के पीछे से भी
जिंदा   महसूस   होता  है।।


रचयिता।।।।एस के कपूर श्री
हंस।।।।।।बरेली।।।।।।।।।।।
मोब  9897071046।।।।।।
8218685464।।।।।।।।।।।


बिना तुम्हारे प्राण-प्रेयसी, व्याकुल जिया तड़पता है

स्नेहलता नीर गीत
*****



बिना तुम्हारे प्राण-प्रेयसी,
व्याकुल जिया तड़पता है।
मन मिलने को आतुर होकर,
बालक-सरिस मचलता है।


उर से उर का पावन संगम ,
पावन प्रीति हमारी है।
तुम ही तुम हो इस जीवन में,
झूठी दुनियादारी है।


जनम-जनम का रिश्ता अपना ,
नीर-मीन-सा लगता है।
बिना तुम्हारे प्राण-प्रेयसी,
व्याकुल जिया तड़पता है।


मन के कोरे कागज पर नित, 
नाम तुम्हारा लिखता हूँ।
तुम बिन पल लगते सदियों से,
जाग-जाग कर गिनता हूँ।


नाम तुम्हारा ही दिल गाता,
जितनी बार धड़कता है।
बिना तुम्हारे प्राण-प्रेयसी,
व्याकुल जिया तड़पता है।


मन की वीणा के तारों को,
झंकृत तुमने कर डाला।
लगती प्रीति-प्रतीति तुम्हारी
अहसासों की मधुशाला।।


जग क्या जाने इस रिश्ते में,
कितनी अधिक गहनता है।
बिना तुम्हारे प्राण-प्रेयसी,
व्याकुल जिया तड़पता है।


स्नेहलता नीर गीत **** स्याह हुआ है जीवन दुख में ,

स्नेहलता नीर गीत
****


स्याह हुआ है जीवन दुख में ,
 एक आस की किरण दिखाओ।
जग के कष्ट मिटाने वाले,
आकर मेरे कष्ट मिटाओ।


रिश्तों की पावन बगिया में,
अंतहीन पतझर छाया है।
प्रीति छलावा मोह बाँधता,
 वैभव ने मन उलझाया है।


बनो नेह की श्याम बदरिया,
बरस -बरस कर मुझे भिगाओ।
स्याह हुआ है जीवन दुख में  ,
एक आस की किरण दिखाओ।


बनी तुम्हारी मैं दीवानी,
तुमको अपना सब कुछ माना।
ध्येय बनाया है  जीवन का,
बस तुमको ही है अब पाना।


दर्शन के अभिलाषी नैना ,
और न इनको अब  तड़पाओ।
स्याह हुआ है जीवन दुख में ,
एक आस की किरण दिखाओ।


लेकर चाह मिलन की तुमसे,
गमन निरन्तर मेरा जारी।
छलनी पाँव किये शूलों ने,
क़दम -क़दम है बढ़ना  भारी।


करके कृपा श्याम सुंदर अब,
निज चरनन की दास बनाओ।
स्याह हुआ है जीवन दुख में,


एक आस की किरण दिखाओ।


स्नेहलता नीर गीत साँस-साँस सहमी-सहमी है,

स्नेहलता नीर गीत
साँस-साँस सहमी-सहमी है,
हर पल लगता डर।
भूचालों पर खड़े काँपते
सुख-सपनों के घर।


दिन मेहनत के बल पर गुजरे,
जाग-जाग रातें।
आसमान भी लेकर आता
बेमौसम घातें।
धक-धक धड़काते हैं छाती,
चिंता के बादल।
हुआ किसानी में तन जर्जर,
अंतर्मन घायल।


सूखा कभी तुषार झेल कर ,
फसल रहीं सब मर


नेह बिना रिश्ते-नाते सब,
सूखे-सूखे हैं।
बोल और व्यवहार सभी के,
रूखे -रूखे हैं।
प्रीति-कोंपलों पर दुश्मन की ,
आरी चलती है।
सुनकर सीने में प्रकोप की,
ज्वाला जलती है।


दीन-धरम,ईमान तिरोहित,
सोच-समझ पत्थर।


बिका हुआ कानून,अदालत
अंधी-लँगड़ी है।
पड़ी झूठ के कदमों पर अब,
सच की पगड़ी है।
थोथे वादों,कुटिल इरादों, 
की सरकारें हैं।
फँसी भँवर में सबकी नैया,
बिन पतवारें हैं।


मौत नाचती है अब सिर पर,
नैन हुए निर्झर।


मस्त बहारें रूठ चुकी हैं,
सावन भी  रूठा।
कली-कली का तोड़ रहा दिल
मधुसूदन झूठा।
लाज आज बन चुकी खिलौना,
और चीज नारी।
जब चाहे शैतान खेलते,
कैसी लाचारी।


रिश्तों में ही घोल रहे हैं,
रिश्ते स्वयं जहर।


 


 


काव्य मंजरी साहित्यिक समूह का भव्य चतुर्थ वार्षिक महोत्सव "फुलवारी" सम्पन्न" निशा गुप्ता देहरादून सम्मानित

"नई दिल्ली में काव्य मंजरी साहित्यिक समूह का भव्य चतुर्थ वार्षिक महोत्सव "फुलवारी" सम्पन्न"


रविवार, 2 फरवरी 2020 को गांधी शांति प्रतिष्ठान, नई दिल्ली में काव्य मंजरी साहित्यिक समूह ने अपना चतुर्थ वार्षिक महोत्सव "फुलवारी" मनाया।


इस अवसर पर -श्रीमती निशा"अतुल्य" को सर्वश्रेष्ठ सक्रिय रचना कार के सम्मान से सम्मानित किया गया ।आप उत्तराखण्ड प्रान्त की प्रभारी हैं और नवरात्रों में नौ दिन नौ दुर्गा की अलग अलग स्तुति दे कर माता की चुनरी से सुशोभित हुई ।


इस भव्य समारोह में समूह के पहले साझा काव्य संग्रह "काव्य मञ्जरी" का लोकार्पण हुआ जिसकी मुख्य संपादिका डॉ नीरजा मेहता 'कमलिनी' जी हैं। कार्यक्रम का प्रारंभ पदमा शर्मा 'आँचल' ने गणेश वंदना से किया। नेहा शर्मा 'नेह' ने आयोजन के  "फुलवारी" नाम की सार्थकता बताई। तत्पश्चात दीप प्रज्वलन के बाद सुमधुर स्वर में डॉ स्वदेश मल्होत्रा 'रश्मि' ने सरस्वती वंदना गाई। समूह की संस्थापिका एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष गाज़ियाबाद से डॉ नीरजा मेहता 'कमलिनी' ने शॉल, मोमेंटो एवं मोती की माला पहनाकर अतिथियों को सम्मानित किया। समूह के प्रमुख अतिथियों श्री सुभाष चन्दर जी (वरिष्ठ व्यंग्यकार एवं आलोचक) ; श्री चन्द्रमणि ब्रह्मदत्त जी (संस्थापक,चेयरमैन इंद्रप्रस्थ लिटरेचर फेस्टिवल ; अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष नारायणी साहित्य अकादमी) ; डॉ तारा गुप्ता जी (गीतकार, गज़लकार , गान्धर्व निकेतन) ; सुश्री नीतू सिंह राय जी (राष्ट्रीय महासचिव, महिला काव्य मंच) ;  श्री रामकिशोर उपाध्याय जी (अध्यक्ष, युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच न्यास) ; श्री ओम प्रकाश प्रजापति जी (संस्थापक एवं संपादक ट्रू मीडिया, देहली) ; सुश्री संतोष गर्ग जी (राष्ट्रीय कवि संगम, इकाई चंडीगढ़ की अध्यक्षा; अखिल भारतीय साहित्य परिषद, इकाई पंचकुला की सरंक्षक; मोहाली चंडीगढ़ में प्रेरणा सहायता सोसाइटी, एन जी ओ की उपाध्यक्ष) ; श्री अनिल शर्मा 'चिंतित' जी (इनकम टैक्स अफसर, राष्ट्रीय कवि संगम, इकाई चंडीगढ़ तथा अखिल भारतीय साहित्य परिषद, इकाई पंचकुला के महासचिव) ; दिलदार देहलवी जी (अधिवक्ता, लेखक, कवि, गज़लकार) के अनमोल वक्तव्य से सभी लाभान्वित हुए। अपने स्वागत भाषण में समूह के रजिस्टर्ड होने की घोषणा करते हुए संस्थापिका एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ नीरजा मेहता 'कमलिनी' ने नेहा शर्मा 'नेह' को उपाध्यक्ष एवं पदमा शर्मा 'आँचल' को महासचिव नियुक्त करते हुए उनको पुष्पहार पहनाकर उनका स्वागत किया। महासचिव पदमा शर्मा 'आँचल' ने समूह की जानकारी दी और उपाध्यक्ष नेहा शर्मा 'नेह' ने साझा काव्य संग्रह की समालोचना प्रस्तुत की।


इस अवसर पर 9 एकल पुस्तकों का भी विमोचन हुआ और सभी को शॉल, स्मृति चिन्ह, प्रशस्ति-पत्र देकर "साहित्य सारथी सम्मान" से सम्मानित किया गया---देहरादून से सुश्री नीरू नैय्यर (नीलोफ़र) का काव्य संग्रह "भाव तरंगिनी" ; अयोध्या से डॉ स्वदेश मल्होत्रा 'रश्मि' के गीत संग्रह 'सुधियों के आंचल में', नोएडा से सुश्री किरण मिश्रा 'स्वयंसिद्धा' के काव्य संग्रह "शुगर फ्री सी ज़िंदगी" ; चंडीगढ़ से श्री मुरारी लाल अरोड़ा 'आज़ाद' के कविता एवं गीत संकलन "मोहब्बत करते रहना" ; चमोली उत्तराखण्ड से सुश्री शशि देवली का गज़ल संग्रह "इश्क़ से राब्ता" ; नोएडा से डॉ मीनाक्षी सुकुमारन का काव्य संग्रह "निबौरी" ; अलीपुर पश्चिम बंगाल से सुश्री पदमा शर्मा 'आँचल' का संस्मरण संग्रह "अतीत के पन्ने" ; मोहाली पंजाब से सुश्री नेहा शर्मा 'नेह' का कहानी संग्रह "स्नेह-पथ" ;  गाज़ियाबाद से डॉ नीरजा मेहता 'कमलिनी' का कहानी संग्रह "अधूरी कहानी" का लोकार्पण हुआ।


ये कार्यक्रम प्रातः 10 बजे से रात्रि 8 बजे तक तीन सत्रों (प्रथम सत्र--"प्रेरणा" में विमोचन एवं वक्तव्य ; द्वितीय सत्र--"वंदन अभिनंदन" में सम्मान समारोह ; तृतीय सत्र--"रस वृष्टि" में काव्य पाठ) में आयोजित हुआ। इस कार्यक्रम का संचालन मोहाली पंजाब से आईं समूह की उपाध्यक्ष सुश्री नेहा शर्मा 'नेह' तथा अलीपुर पश्चिम बंगाल से आईं समूह की महासचिव सुश्री पदमा शर्मा 'आँचल' ने किया। इस अवसर पर साझा संग्रह से जुड़े सभी 35 रचनाकारों को स्टोल, मोती की माला, स्मृति चिन्ह और प्रशस्ति-पत्र देकर "साहित्य सेवी सम्मान" से सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त 8 विशिष्ट सम्मान दिए गए---साहित्य के क्षेत्र में नोएडा से डॉ आभा नागर जी को वरिष्ठ साहित्यकार सम्मान, साहिबाबाद से भूपेंद्र राघव जी को गीत गौरव सम्मान, दिल्ली से श्री केदार नाथ शब्द मसीहा जी को शब्द साधक सम्मान दिया गया। पुस्तक 'परिणीता प्रेम' के लिए नोएडा से सुश्री किरण मिश्रा 'स्वयंसिद्धा' को भाव प्रणेता सम्मान ; सामाजिक क्षेत्र में भागलपुर से सुश्री सुमन सोनी को समाज सारथी सम्मान ; शिक्षा के क्षेत्र में देहरादून से सुश्री मीनाक्षी दीक्षित को प्रेरक सम्मान ; चित्रकला में नागपुर से सुश्री प्रीति हर्ष को उत्कृष्ट चितेरा सम्मान ; संगीत के लिए नोएडा से सुश्री स्तुति मेहता को भाव-भंगिमा सम्मान से सम्मानित किया गया। 


इसके अतिरिक्त समूह में आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं और आयोजनों के विजेताओं को सम्मानित किया गया---वाद-विवाद प्रतियोगिता सम्मान, मासिक प्रतियोगिता सम्मान, हिंदी दिवस पर आयोजित ऑनलाइन काव्य गोष्ठी सम्मान, श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान, श्रेष्ठ समीक्षक सम्मान, सक्रिय रचनाकार सम्मान, तकनीकी सहयोग सम्मान, नवरात्र आयोजन सम्मान, काव्य मंजरी सम्मान, प्रभारी सम्मान, संचालिका सम्मान से समूह के रचनाकारों को सम्मानित कर उत्साहवर्धन किया गया। प्रतियोगिताओं के विजेताओं को ट्रॉफी, मेडल दिया गया, श्रेष्ठ एवं सक्रिय रचनाकारों को सैश, मुकुट एवं ट्रॉफी से सम्मानित किया गया, नवरात्र आयोजन के विजेताओं को माता की चुनरी ओढ़ाई गई, प्रभारियों को उनके छाया चित्र लगे मग दिए गए, तकनीकी सहयोगी को साड़ी और मैडल दिया गया, काव्य मंजरी सम्मान के लिए स्टोल और प्रशस्ति-पत्र पत्र दिया गया और संचालिकाओं को स्टोल, ट्रॉफी और प्रशस्ति-पत्र दे कर सम्मानित किया गया।


समूह की संस्थापिका एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ नीरजा मेहता 'कमलिनी' को समूह की ओर से पगड़ी पहनाकर, शॉल ओढ़ाकर, ट्रॉफी और अभिनंदन पत्र देकर "राजमाता" उपाधि से सम्मानित किया गया। 


समूह की प्रभारी नोएडा की रेखा गुप्ता जी ने सभी आगन्तुकों को चंदन का टीका लगाकर और मिश्री देकर स्वागत किया। पूरे आयोजन के प्रमुख मोहाली पंजाब से आये श्री रंजन मगोत्रा जी ने सभी का स्वागत किया एवं सारे आयोजन की व्यवस्था देखी। समूह के विभिन्न प्रदेशों के सभी प्रभारियों (रंजन मगोत्रा, रेखा गुप्ता, नीरू नैय्यर (नीलोफ़र), कात्यायनी उपाध्याय 'कीर्ति',  स्वदेश मल्होत्रा 'रश्मि', मीनाक्षी सुकुमारन, निशा गुप्ता, सीमा गर्ग 'मंजरी', अनुपमा सक्सेना 'अनुपम', प्रतिभा गुप्ता, विनीता बाडमेरा, विजय कनौजिया) ने आयोजन के समस्त कार्यभार को संभालकर आयोजन को शीर्ष पर पहुंचा दिया। चार वर्ष पूर्व 29 जनवरी 2016 को व्हाट्सअप पर इस समूह की स्थापना की गई। तब से निरन्तर सृजन में सक्रिय इस समूह ने ये अपना पहला भव्य कार्यक्रम किया जिसकी सभी ने भूरि-भूरि प्रशंसा की।


समूह के रचनाकारों द्वारा सुंदर काव्य पाठ किया गया जिसकी रिकॉर्डिंग ट्रू मीडिया द्वारा की गई जो शीघ्र ही यू-ट्यूब पर आप सब सुन व देख सकेंगे। काव्य पाठ करने वाले सभी कवि/कवियित्रियों को "साहित्य मञ्जरी सम्मान" से नवाज़ा गया। अंत में समूह की संस्थापिका एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ नीरजा मेहता 'कमलिनी' ने सभी का आभार प्रकट किया और राष्ट्र गान के बाद कार्यक्रम की समाप्ति हुई।


पी एस ताल जाने दो ना* नैनों के इशारों में जो होता है हो जाने  दो ना,,

पी एस ताल


जाने दो ना*


नैनों के इशारों में जो होता है हो जाने
 दो ना,,
प्यार हुआ है तो प्यार,  हो जाने दो ना।



मोहब्बत की महफ़िल सजी हो तो ,
गुलाबी होठों की कलियों को प्रफुलित
 हो जाने दो ना।
दुःखों के पतझड़ अश्कों से बह रहे तो
बहते अश्कों से अलग हो जाने दो ना।


दो दिलों के हरे- भरे सबंधो में प्रीत की
 ओस बूंदे अंकुरित हो तो हो जाने दो ना।


यादों की खिड़कियों से ताजी- ताजी 
हवाओं के झकोरे आए तो आ जाने दो
 ना।



*✒पी एस ताल*


स्नेहलता नीर बसंत गीत ख़ुशियाँ ले आया अनंत है।

स्नेहलता नीर


बसंत गीत


ख़ुशियाँ ले आया अनंत है।
ऋतुओं में  प्यारा बसंत है । 
ऋतुओं  में  न्यारा बसंत है।
1
पतझर को आ  दूर  भगाया,
कोंपल जगी जिया मुस्काया।
धानी  धरा   बना   सरसाया,
मलय समीरण को महकाया।।
किया शिशिर काआज अंत है।
ऋतुओं  में   प्यारा  बसंत है।
ऋतुओं  में  न्यारा बसंत  है।
2
धरती  को  श्रृंगार  दिया   है,
नव   ऊर्जा  संचार  किया  है।
नाच  रहा  मन  मोर  पिया है,
हर्ष दिया सब  शोक लिया  है।।
नियति- नियंता दयावंत  है।
ऋतुओं   में   प्यारा   बसंत है।
ऋतुओं  में   न्यारा  बसंत  है।
3
फ़सले   लेतीं  हैं अँगड़ाई,
खेतों   में  सरसों   लहराई।
अमराई    भी    है    बौराई,
खिली धरा की यूँ  अँगनाई।।
लाली    छाई    दिग्दिगंत  हैं।
ऋतुओं   में   प्यारा   बसंत। है।
ऋतुओं  में  न्यारा  बसंत  है।
4
कली -कली  देखो  मुस्काई,
अलि डोलें तितली  इठलाई।
कोयल की  दे  कूक  सुनाई,
फगुआ  को  आवाज़  लगाई।।
सच  कुसुमाकर कलावंत  है।
ऋतुओं   में   प्यारा  बसंत है।
ऋतुओं  में  न्यारा  बसंत   है।
5
कृपा   शारदे   माँ  बरसाती,
हरे   मूढमति ज्ञान   लुटाती।
सृष्टि  सकल  जैसे मदमाती,
नेह  भरी  मधु पढ़ता  पाती।।
 माधव मन का बड़ा  संत है।
ऋतुओं   में   प्यारा  बसंत है।
ऋतुओं  में  न्यारा  बसंत  है।
6
अंतर्मन    में    प्रीत    जगाई,
विरहन सजन बिना अकुलाई।
सिसक -सिसक कर रात बिताई,
करो कृपा हे  कृष्ण  कन्हाई!
ला  दो  खोया कहाँ   कंत है।
ऋतुओं   में   प्यारा  बसंत है।
ऋतुओं  में  न्यारा  बसंत   है।


स्नेहलता नीर सजल ******** जल रहा है आज ये संसार कैसे

स्नेहलता नीर


सजल
********
जल रहा है आज ये संसार कैसे
ओस की बूँदें बनी अंगार कैसे
1
प्यार पर पहरा जमाने ने लगाया
फिर करूँ बोले प्रिये अभिसार कैसे
2
कर कड़ी मेहनत निवाले मैं जुटाता
फिर खरीदूँ मोतियों का हार कैसे
3
हर तरफ कलियुग पसारे पाँव बैठा
ईश लेंगे फिर भला अवतार कैसे
4
चीर हरता है मनुज अब नित धरा  के
फिर करे ऋतुराज भी शृंगार कैसे
5
दे रही है मौत रिश्तों को निरंतर
बन गयी है अब जिह्वा तलवार कैसे
6
नीर' मैं हूँ,आग तुम फिर भी अचानक
जुड़ गए मन के हमारे तार कैसे


---स्नेहलता'नीर'


देवानंद साहा"आनंद अमरपुरी" .तन्हाई में कारवां.

देवानंद साहा"आनंद अमरपुरी"


.तन्हाई में कारवां.............


तन्हाई  में कारवां , बढ़  नहीं  पाता ।
प्यार भी  परवान , चढ़  नहीं  पाता।।


एक  दूसरे  से  सरोकार  न   हो  तो ;
सुन्दर   समाज   गढ़    नहीं   पाता।।


सूत   जितने  भी  सुंदर  क्यों  न  हो ;
कढ़ाई  न आए तो  कढ़ नहीं  पाता।।


अकेले  तो कोई  रास्ता  तय  कर ले ;
साथ न  हो तो देश  बढ़ नहीं  पाता।।


यादगार  चित्र सदा  रखें सहेज  कर;
कारीगर ठीक न  हो,मढ़ नहीं पाता।।


मन में  लगन न  हो यदि तो कोई भी;
सफलता की ऊंचाई,चढ़ नहीं पाता।।


हमारी तो कोशिश यही रहती"आनंद"
उसे जरूर पढ़ाए जो पढ़ नहीं पाता।।


------ देवानंद साहा"आनंद अमरपुरी"


आशुकवि नीरज अवस्थी बसंत होली मुक्तक 9919256950 किसी को याद कर लेना, किसी को याद आ जाना।

आशुकवि नीरज अवस्थी बसंत होली मुक्तक


9919256950


किसी को याद कर लेना, किसी को याद आ जाना।


बड़ा रंगीन है मौसम हमारे पास आ जाना. 


सभी  बागों मे अमराई है, मौसम खुशनुमा यारों,


कसम तुमको है प्रीती तुम मेरे ख्वाबों में आ जाना. [1]    
                                        
दिल के बागों में प्रीति पुष्प खिला कर देखों ।
नेह  का रंग अमित प्रेम लुटा कर देखो..  ।    तेरी यादें  मुझे लिपटी है अमरबेलों सी,
होली आती है मुझे फ़ोन लगा के देखो.. (2)  
                    


डॉ0 नीलम अजमेर   यादों के झरोखे से

डॉ0 नीलम अजमेर


  यादों के झरोखे से
यादों के झरोखे से
कुछ पल खिसक गये
हवाओं में खनक थी
कुछ हर्फ बिदक गये


मैं तो अंजानी ना जानी
क्यूँ मुझसे वो रुठ गये
सारी- सारी रात मैं जागी
फिर भी हाथ से छूट गये
अक्षर-अक्षर बिखरे मोती-से
मुझसे मेरे अपने ही टूट गये


यादों के झरोखे से..........


बहुत सहेज रखे थे, दिल की तिजोरी में
अनजाने में कैसे ताले खुल गये
जरा-से पट खुले रह गये तनहाई में
अनजानी सदा सुनकर निकले
फिजाओं में बिखरा मह्क सारे घुल गये


यादों के झरोखे से......


   


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