एस के कपूर श्री हंस* *बरेली

*आगे बढ़ने का नाम ही ज़िंदगी है।*
*।।।।।।।।।।।।।मुक्तक।।।।।।।।।।।*


मत रखो   जिन्दगी   को    तुम
यूँ  बहुत    संभाल  कर।


जरूरी  नहीं कि हर  काम करें
बहुत   देख भाल   कर।।


मत मलाल करो  खोना   पाना
तो हिस्सा है जिन्दगी का।


बस खुशी से आगे चलता चल 
यही  इक  कमाल    कर।।


*रचयिता।।।।।एस के कपूर श्री हंस*
*बरेली।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।*
।।।।मोब  9897071046।।।।।।।।
8218685464।।।।।।।।।।।।।।।।।


एस के कपूर श्री* *हंस।।।।।।।।बरेली

*तेरा सद्कर्म ही सबको याद*
*आयेगा।।।।।मुक्तक।।।।।।।*


जिन्दगी का बहुत आसान सा
हिसाब  प्रभु  ने   बनाया है।


खाली हाथ ही भेजा  यहाँ पर
और खाली   ही  बुलाया है।।


सहयोग  ही  तो   जिन्दगी  का
है     एक      नाम     दूसरा ।


बस वही याद  आता है जिसने
काम कुछ अच्छा कमाया है।।


*रचयिता।।।।एस के कपूर श्री*
*हंस।।।।।।।।बरेली।।।।।।।।।।*
मोब 9897071046।।।।।।।।।।
8218685464।।।।।।।।।।।।।।।


संजय जैन (मुम्बई)

*संदेश*
विधा : गीत


नींद आती नहीं,
चैन पाते नहीं ।
फिर भी तड़पाने से, 
बाज आते नहीं।
थोड़ा सा बदलो,
अपना तुम दृष्टिकोण।
कुछ तो जैनधर्म का, 
 अनुसरण करो।।


खुद जीओ औरों को,
भी जीने दो।
महावीर स्वामी का संदेश, 
जीवन में अमल करो।
छोड़कर हिंसा को,
अहिंसा पर चलो।
और जीवन को अपने,
सफल बना लो।।


दूसरे की लोकप्रियता से,
तुम मत जलो।
बने जहां तक,
औरों की मदद करो।
और इंसानियत को,
जिंदा दिल में रखो।
अपने कर्तव्यों से,
 मुँह मत फेरो।।


जिंदगी की हकीकत,
तुम जान लो।
फर्ज ईमान का,
तुम निभाते चलो।
दिलों में प्यार,
अपने जागते चलो।
प्यार की दुनियां,
तुम बसते चलो।।


इंसानियत को जिंदा,  
 इंसानों में रखो।
भाईचारे का माहौल,
बना के रखो।
एक दिन तेरी,
करनी रंग लाएगी।
और फिरसे हमसब,
चैन से रह पाएंगे।।


जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)
07/02/2020


सत्यप्रकाश पाण्डेय

तेरे प्यार में हुई बाबरी,
तूने छीनों चेन हमारों।
तेरी सूरत देख सांवरे,
अब कोई लगे न प्यारों।।


बेगानी सी रहती हूं मैं,
पल भर भूल न पाऊँ।
सोते जगते मेरे कृष्णा,
बस तेरे ही गुण गाऊं।।


हो मेरे आलम्बन प्रिय,
प्रभु आके मोय संवारों।
तेरी सूरत देख सांवरे,
अब कोई लगे न प्यारों।।


कैसे सूरत देखूं कान्हा,
हया की लाली व्यापै।
मेरौ मन मयूर सदा ही,
माधव नाम ही जापै।।


तेरे लिए व्याकुल रहूँ,
ये जीवन तुम पै वारौ।
तेरी सूरत देख सांवरे,
अब कोई लगे न प्यारौ।।


सत्यप्रकाश पाण्डेय


गनेश रॉय "रावण" भगवानपाली,मस्तूरी, बिलासपुर, छत्तीसगढ़

"लड़कपन का ईश्क़"
""""""""""""""""""""""""""""
चले जो धूप में....
तो पैर छिलने लगे
और चले जो ईश्क़ में....
तो दिल जलने लगे
ये लड़कपन का ईश्क़ था
जो सर चढ़ कर बोलने लगे थे
खाये जो ठोकर तो सर पकड़ कर रोने लगे
लाख समझाया था इस दिल को
..….......लेकिन.....
ये अपने हुनर पर इतराने लगे
खुद ही जलाया है 
अपने ही ठिकाने अपने हाथो से
पर आज फुरसत की ठिकाने ढूँढने लगें
ठोकर खा कर सम्भल तो गया है
डर है मुझे इस बात की
कहीं पैर फिर से ना फिसलने लगे
अब की बार फिसला तो कौन इसे संभालेगा
ये दिल तो आजाद पंक्षी है जनाब
कौन इस पर लगाम लगाएगा ।।


गनेश रॉय "रावण"
भगवानपाली,मस्तूरी, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
9772727002
©®


अम्बरीष अम्बर

'वहाँ कीजिये कैद'


जितने बैठे बाग में, हो करके मुस्तैद।
आठ फरवरी को उन्हें, वहाँ कीजिये कैद।
वहाँ कीजिये कैद, न हो अब कोई माफ़ी
पड़ न सकेगा वोट, सजा होगी यह काफी।
मौज कर रहे लोग, वहाँ पर जाने कितने।
अभी पुलिस को भेज, घेर लें बैठे जितने।


-- 'अम्बर'


प्रखर दीक्षित फर्रूखाबाद(उ.प्र)

मुक्तक


*जयति परात्मन*
*******
यदि परात्मन पराशक्तिमय बिन तो , नहिं राधा कृष्णमयी होती।
तब बृजरज विभूति न बन पाती , तब न बंसुरी मधुर सरस होती।। 
शाश्वत प्रेम में बसा ईश्वर में , जहाँ मनभाव आकर्षण,
भक्ति करुणा रस जहाँ सरसे नहीं वँह कीर्ति क्षति होती।।



चले आओ कन्हैया अब हमें नित बेचैनियाँ छलती।
मेरी आशा का तुम्ही संबल तुमसे श्वांस यह चलती।।
ये बृज की रेणु चंदन सम जहाँ शैशव बिताया था,
प्रखर उर ताप विरहा का अब तुम बिन ज़िंदगी खलती।।


प्रखर दीक्षित
फर्रूखाबाद(उ.प्र)


श्याम कुँवर भारती [राजभर] भोजपुरी

भोजपुरी गीत- हमरे मोदी जी महान |
बढ़वले हमरे देशवा के सम्मान   |
हमरे मोदी जी महान |
महकइहे मह मह गुलिस्तान |
हमरे मोदी जी महान |
घर घर शौचालय बनवले |
बेघर के आपन आलय बनवले |
जय भारत जय हिन्दुस्तान |
हमरे मोदी जी महान |
केतनों सतावे बर बिमारी औरी दुशमनवा |
फ्री मे इलाज होखे मिलल सबके आयुष्मनवा |
इलाज करावे दीहले सबके वरदान  |
हमरे मोदी जी महान |
मेहरारू सबके चूल्हा फूंकल छुटल |
रसोई सबके उज्ज्वला जाई पहुंचल |
बनावे सब खूब पुआ औरी पकवान |
हमरे मोदी जी महान |
खेतवा लहराये धनवा मगन भईले किसनवा |
तोपवा बन्दुकिया पाके जोसियईले जवनवा |
छप्पन इंची सीना देखि घबराईल पाकिस्तान |
हमरे मोदी जी महान |
तीन तलाक भईले हलाक सुना मोर बहिनी |
 धारा तीन सौ सत्तर खतम अब भईली |
आतंकियन मार गिरावे भेजे कब्रिस्तान |
हमरे मोदी जी महान |
जनधन योजना सबके खाता खुल गईले |
मुद्रा लोन से पईसा लेके धंधा सबके भईले |
मोदी राज मे होखे केहु नाही परेसान |
हमरे मोदी जी महान |
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई इज्जत सबके देले |
सबकर साथ सबकर विश्वास सबके विकाश करेले |
राम मंदिर के शुरु करवले ई निर्माण |
हमरे मोदी जी महान |
बढ़वले हमरे देशवा के सम्मान   |


श्याम कुँवर भारती [राजभर]
 कवि ,लेखक ,गीतकार ,समाजसेवी ,


 मोब /वाहत्सप्प्स -9955509286


देवानंद साहा"आनंद अमरपुरी"

........... इंतजार के क्षण...........
शाम का
अन्तिम प्रहर,
नीरवता में शहर।
झील के किनारे खड़ा,
एकांत चिंतामग्न सोच रहा था।
जीवन की
अभिलाषाओं के
बारे में उठते तूफान,
मन की भावनाएं,तम के
साम्राज्य में विलीन हो रहा था।
देखता हूं,
चांद की छाया
को झील की पानी में।
सोचता हूं, आयेगा पूनम
का चांद कब मेरी जिंदगानी में?
यही अरमान,
बसा है मेरे दिल 
और जिगर में।जाऊं 
कहां,इस दुनिया के वीरान
और सुने खंडहर में?लगता नहीं
है,दिल अब
इस मरघट में।
मन मचल रहा है,
देखने को चांद सा मुखड़ा।
दिल धड़क
रहा है,फिर भी,
रहता उखड़ा उखड़ा।
कैसे समझाऊं,तुमको मन,
कटते नहीं इंतजार के क्षण।


-- देवानंद साहा"आनंद अमरपुरी"


अवनीश त्रिवेदी"अभय"

छंद


ममतामयी  मूर्ति  हो, सारे जग की कीर्ति हो, 
सुधा  सरसाती   सदा, बड़ी   सुखकारी  हो।
अपने पाल्यो   पे कष्ट , आने नही देती कभी,
करती  दुआओं  से   ही, सदा  रखवारी  हो।
सूखे  में  सुलाती हमे, गीले में ही  सोती सदा, 
आँचल  की  छाँव  देती,  बड़ी  हितकारी हो।
माँ  कैसे  करे  बखान, हम  तो   बड़े  अज्ञान,
बौने  पड़   जाते  शब्द, ऐसी  वीर  नारी  हो।


अवनीश त्रिवेदी"अभय"


सुनीता असीम

मुहब्बत में शराफत आ रही है।
किसी के नाम चाहत आ रही है।
***
खिले हैं फूल से चेहरे सभी अब।
पिता की जो वसीयत आ रही है।
***
बरसती है दुआ सीआसमाँ से।
हमें उससे ही ताकत आ रही है।
***
हुआ मोदी का शासन जबसे देखो।
बेईमानों की शामत आ रही है।
***
सच्चे दिल से किए हों काम सब।
तभी फिर साथ कुदरत आ रही है।
***
कोरोना चीन में फैला भले ही।
यहाँ भी उसकी दहशत आ रही है।
***
लड़कपन से रहे जो कल तलक थे।
लो उनमें आज अज़मत आ रही है।
***
सुनीता असीम
६/२/२०२०
अजमत-बड़प्पन


एस के कपूर* *श्री हंस।।।।बरेली

*विविध हाइकु।।।।।।।।।।*


कभी नरम
जीवन सामंजस्य
कभी गरम


पक्का इरादा
हार नहीं मानना
करो वायदा


आज की नारी
मातृ शक्ति सलाम
नहीं बेचारी


लिखते आह
ये दर्द निकलता
पढ़ते  वाह


हमारी चाह
मिल कर  ही   रहें
एक हो राह



अपने में  न
जिंदगी जियो तुम
अपनो में हाँ



ए मेरे   खुदा
सरपरस्ती     रहे
होना न जुदा


*रचयिता।।एस के कपूर*
*श्री हंस।।।।।।।।बरेली।*
मो  9897071046।।।।
8218685464।।।।।।।


एस के कपूर* *श्री हंस।।।।बरेली

*दिल की हमेशा सफाई होनी*
*चाहिये।।।।।।मुक्तक।।।।।।।*


तुम्हारी हर  बात  में  कुछ
गहराई होनी चाहिये।


तेरे हर काम में  किसी की
भलाई होनी चाहिये।।


भरपाई करते  रहो हमेशा
हर इक भूल की तुम।


छूटे रिश्तों  की भी हमेशा
तुरपाई होनी चाहिये।।


*रचयिता।।एस के कपूर श्री*
*हंस।।।।।।।।बरेली।।।।।।।*
मोब।      9897071046।।।
8218685464     ।।।।।।।।


एस के कपूर* *श्री हंस।।।।बरेली

*विविध हाइकु।।।।।।।।*


करो वो काम
कैसे रहे ये ऊँचा
देश का नाम


यह चुनाव
बचानी है हमको
डूबती नाव


कभी अर्श पे
किस्मत क्या चीज़
कभी फर्श पे


शहर  गाँव
अंतर   है     इतना
धूप ओ छाँव


लाज व शील
सिखायें प्रारंभ से
पुत्री सुशील


वक़्त का खेल
कभी   ऊपर   नीचे
जीवन     रेल


बढ़ते रहो
रिश्तों की तुरपाई
करते रहो


*रचयिता।।।एस के कपूर*
*श्री हंस।।।।बरेली।।।।।।*
मो  9897071046।।।
8218685464 ।।।।।।


सत्यदेव सिंह समथर

वो तुम्हारे कागज पर मेरी तकदीर नहीं जाती।
मेरी इन आँखों से तुम्हारी तस्वीर नहीं जाती।।


ढूंढूं तुमको या फिर इन आँखों से आँसू पोंछू
ये दिल दुखता है कि कलेजे की पीर नहीं जाती


नींदों के पंछी पलकों पर आना छोड़ चुके हैं
ये प्यार है कि तसव्वुर से तस्वीर नहीं जाती


परिवार को देखूँ तो पत्थर रखता हूँ इस दिल पर
वर्षों साथ में गुजरे वक़्त कि तकरीर नहीं जाती


मुझको यूँ छोड़ के दुनिया से रुखसत हो गये हो तुम
पर हर वक्त नजर आने की तदबीर नहीं जाती


आपका सत्यदेव


प्रतिभा प्रसाद कुमकुम

(06)       🙏🏻 *प्रतिभा प्रभाती* 🙏🏻
-------------------------------------------------------------
नित करूं मैं वंदन प्रभु!जी ,
चरण पखारूँ, आठों याम ।
कर्म धर्म पूजा न जानूँ , 
मुझे सिखा दो मेरे राम ।
 रहे शीश पर तेरा हाथ , 
जीवन भर का दे दो साथ ।
नित्य मैं  अभिनंदन गाऊँ , 
तेरे चरण पड़ूँ रघुनाथ ।
माँ- तात को नमन करूँ मै, 
उनको झुकाऊँ  रोज माथ ।
अग्रजों को नमन सदा ही , 
अनुजों को नित्य राम राम ।।



🌹 *प्रतिभा प्रसाद कुमकुम* 🌹
       (सर्वाधिकार सुरक्षित)
        दिनांक  6.2.2020...



_________________________________________


लता प्रासर पटना बिहार

*हवा की कनकनी मुबारक*


सहज सुभग सुंदर चितचोर नाचे वन मोर
अलसाई हवा डोले इत उत ढूंढे जीवन छोर
मौसम मगरुर रंग बदले उमंग बदले तरंग बदले
जब जब जोगन अंखियां निरखे चंहुओर
किलकत ढुलकत बादल घिरे आसमां घनघोर!
*लता प्रासर*


नूतन लाल साहू

आफत
चुनाव चल दिस
कोरोना आगे
अधिकारी कर्मचारी आऊ
जनता के मन में भय समागे
वाह रे विज्ञान के चमत्कार
कईसन हे तोर मायाजाल
सोचत रेहेन,सुघघर दिन आ ही
सब झन के मन ल भा ही
सरग ले सूघघर,धरती बन ही
पर होवत हे,नवा नवा
आफत के बरसात
खुशी आऊ आंनद होगे सपना
प्रकृति नइय हो सकय,अपना
मानव चाहे, चांद आऊ मंगल में जाय
मौसम आऊ आफत के निठुरई म
कोनो नई,बच पाय
चुनाव चल दिस
कोरोना आगे
पता नही,आगे का का आ ही
समे के खेल आय
सहिले, विपत पीरा
हिम्मत झन हार
भरोसा ल राख
अंधियार जर जा ही
एकदिन अंजोर बगर जा ही
करम आऊ भक्ति ह
जिनगी के असली हे आधार
नाम कमा ले भाग बना ले
किस्मत के लकीर ल
अपन सत्कर्म से सजा लेे
आफत से बचे के आऊ
कोनो नइये दुसर उपाय
चुनाव चल दिस
कोरोना आगे
अधिकारी कर्मचारी आऊ
जनता के मन में भय समागे
नूतन लाल साहू


रोहित मित्तल ❝रोहित❞ कृष्ण वन्दना

🌻 ❛❝जय श्री राधे कृष्ण ❞❜🌻      
               💦Զเधे👣Զเधे💦
मोर मुकुट माथे पर साजे पैरों में पायलिया... 
नैनों से जो मन को हर ले ऐसा वह सांवरिया...


रूप तुम्हारा इतना सुंदर देख के मन हरषाया... 
मुरलीधर नटवर तेरा गुणगान सभी ने गाया... 
देख के सुंदर रूप सलोना हो गई मैं बावरिया...


मोर मुकुट माथे पर साजे पैरों में पायलिया...
नैनों से जो मन को हर ले ऐसा वह सांवरिया...


गऊऐ गोपी ग्वाल सभी है इतना तुम्हें सुहाते... 
पाकर तुमको अपने दिल की पीड़ा सभी बताते..
धुन भी ऐसी मन को मोहे कान्हा की मुरलिया ...


मोर मुकुट माथे पर साजे पैरों में पायलिया...
नैनों से जो मन को हर ले ऐसा वह सांवरिया...


कान्हा मेरा सबसे प्यारा सबका राज दुलारा... 
मैंने अपना तन मन धन सब इसके ऊपर वारा...
कान्हा की कोमल उंगली को घायल करे मुदरिया...


मोर मुकुट माथे पर साजे पैरों में पायलिया...
नैनों से जो मन को हर ले ऐसा वह सांवरिया...


दूध दही और मक्खन मेरे कान्हा को है भाते...
चोरी कर माखन की घर-घर नटवर चट कर जाते...
उछल-उछल ग्वालो के संग में फोड़े जब गागरिया...


मोर मुकुट माथे पर साजे पैरों में पायलिया...
नैनों से जो मन को हर ले ऐसा वह सांवरिया...


मित्र सुदामा दिल में बसता मन में बसती राधा ... 
घर घर जाकर माखन खाते हरते सबकी बाधा...
मुरली वाले की बंसी पर जब फिर जाऐ अंगुरिया.... 


मोर मुकुट माथे पर साजे पैरों में पायलिया...
नैनों से जो मन को हर ले ऐसा वह सांवरिया...


लीलाधर की लीला प्यारी लगती सबको न्यारी..
मन पावन हो पातक हरते नर हो या हो नारी...
नाच दिखाते कीड़ा करते जब मोहन भोरहरिया.


मोर मुकुट माथे पर साजे पैरों में पायलिया....
नैनों से जो मन को हर ले ऐसा वह सांवरिया...


      🌻 🚩रोहित मित्तल ❝रोहित❞🚩 🌻 
       🌻  {R.K.OPTICAL❜S } 🌻 
          🌻{मौलिक स्वरचित } 🌻 
                लखीमपुर-खीरी   🌻 
               9889862286🌻


कालिका प्रसाद सेमवाल    ‌‌  मानस सदन अपर बाजार       रूद्रप्रयाग उत्तराखंड

💦किसी का जिया दुखाना नहीं है
*****************************
रहो तुम सुखी जिन्दगी भर प्रिये,
मैं हँसूगा कहीं भी तुम्हें जानकर।


दिया प्यार का अब जलाना नहीं है,
किसी को हँसाकर रूलाना नहीं है ,
विरह गीत गाकर भुलाना नहीं है ,
किसी का जिया अब दुखाना नहीं है,
मुझे फिर कभी , प्राण,आना नहीं है,
सही कह रहा हूँ बहाना  नहीं है,


तुम्हारी हँसी  जिन्दगी  भर रहे ,
मैं लिखूंगा इसे नित्य ‌ ही मानकर।


पर मुझे प्रेम पथ‌ का निभाना रहा,
प्रेम करके हिया का जलाना रहा ,
जल रहा है दिया अब बुझाना रहा,
प्राण , तेरे  बिना   यह जलाना रहा,
औ ,विरह के लिए गीत गाना रहा,
छोड़ तुमको, कहीं आज जाना  रहा,


मिलेगा विरह का गरल  यदि मुझे,
तो बढूँगा इसे भी सदा पान करके।


हाय , कैसे कहूं  आज रोना नहीं,
है, तुम्हारे बिना, प्राण सोना नहीं,
यदि सरल हो निठुर आज होना नहीं,
पर पलक को विवश हो भिगोना नहीं,
पीर कण कण जगी शेष कोना नहीं,
मैं विकल रो रहा आज, टोना नहीं,


कदम को उठाये बढ़ाते चलो‌ ,
मैं चलुँगा निरन्तर तुम्हें जानकर।।
***************************
📚कालिका प्रसाद सेमवाल
   ‌‌  मानस सदन अपर बाजार
      रूद्रप्रयाग उत्तराखंड
        पिनकोड 246171


सत्यप्रकाश पाण्डेय

तेरे बिन अधूरा हूँ.....


जब से जीवन ज्योति बनकर
किया आलोकित हृदय आँगन
अपनी यौवन सुरभि से सजनी
महकाया है मेरा मन उपवन


डाल बाहों का हार प्रियतमा
मेरा हृदय कर दिया अलंकृत
पिक सी मीठी वाणी सुनकर
रोम रोम हो जाता है झंकृत


कुंतल पुंज अलि बन करके
मुखरित करते है मुख मण्डल
मोती सी आभा दन्त अवलि
शोभित है मकराकृत कुण्डल


भूल गया सारे गम जगती के
तुम्हें पाकर ही भव में पूरा हूँ
तुम नहीं तो कुछ न जीवन में
सजनी मैं तेरे बिना अधूरा हूँ।


सत्यप्रकाश पाण्डेय


निधि मद्धेशिया कानपुर उत्तर प्रदेश

वेबपेज पर प्रकाशनार्थ


 


काश...


काश इसी भरम में 
उम्र गुजर जाए...
तुम मुझे चाहते हो, 
हो मेरी पसंद
तुम मुझे माँगते हो।
काश....
इकरार न इजहार करना 
वो व्यवहार न होगा 
दिल दुख जाए।
काश....
ताके रहना जीवन को
झीनी-सी दूरी रखना बनाए।
काश.....
पास आएँ हम, मिलन 
क्षितिज न हो जाए।
काश......
महसूस करते हैं पसंद 
हैं इसलिए दूरियाँ 
दूरियों का आभाष रह जाए।
काश......
प्रेम है बस इतना
तुम खुश रहो हमेशा 
सदा होंठ तुम्हारे मुस्कुराए।
काश.......
पसंद मेरी तुम, मुझे माँगते हो
नगर में मेरे मित्र हैं इस मेले
में अकेला तू भाए।
काश .......
मैंने जन्म पाया किसी के लिए
किसी के लिए तुम जन्में,
सोंचते हैं दोनों ,
अच्छा हो एक हो पाए।
काश........
पसंद मेरी तुम हो 
तुम मुझे माँगते हो,
काश....



निधि मद्धेशिया
कानपुर
उत्तर प्रदेश


निशा"अतुल्य" देहरादून

प्रभुता
दिनाँक      6 /2/ 2020


प्रभुता देख विस्मित हूँ प्रभुवर
भाँति भाँति के फूल खिलाये
फूल खिलाये वो तो बेहतर
इतने रंग प्रभु कहाँ से आये ।


तितली उड़ती इधर उधर है
मधु फूलों का चूस रही है
मधु चूस रही वो तो बेहतर
इतना मिठास कहाँ से आई।


भिन भिन करती मधु मक्खी
इतना सारा शहद बनाई 
शहद बनाई वो तो ठीक है 
पर ये तकनीक कहाँ से आई ।


सूरज उगता समय से अपने 
और शाम को छिप जाता है 
दोनों बात तो ठीक है प्रभुवर
पर छिप कर वो कहाँ पे जाये।


नभ पर चाँद सितारे देखो टँगे हुए हैं उल्टे सारे
प्रभुता तेरी तू ही जाने, मैं तो हूँ बालक अज्ञानी
बस देना ज्ञान प्रभु मुझको, रखूं साथ सदा अपनो का
मुझको अपनी शरण में रखना, जैसे क़ायनात है सारी।


स्वरचित 
निशा"अतुल्य


संजय जैन (मुम्बई)

*क्या स्तर है*
विधा : कविता


गिरती हुई अर्थव्यवस्था, 
को कौन बचाएगा।
मरते हुए इंसान को, 
कौन बचाएगा।
यदि ऐसा ही चलता रहा,
तो देश डूब जाएगा।
और इसका श्रेय फिर, 
किस को देओगे।।


जब जब भी अच्छा हुआ,
वो मेरी किस्मत थी।
अब बढ़ रही महंगाई,
तो ये किसी की किस्मत हुई?
और गिर रही है विश्व में साख,
तो इसका श्रेय किसको दोगें।
ये तो आप ही बताओगें,
या फिर इसका दोष भी,
ओरो पर लगाओगें।।


अब तक जो भी किया,
उनसब में फेल हो गये।
अच्छे दिनों की जगह,
बुरे दिनों में खुद ही फस गये।
हां देश में जाति कार्ड के, 
जरूर ही हीरो बन गए।
और इंसानों को अपास में,
लड़वाने में सफल हो गये।।


बनी बनाई अर्थव्यवस्था का,
चकना चूर कर दिए।
और अपने बड़ बोलेपन से,
खुद ही हीरो बन गये।
कितने बद जुबान है
जिम्मेदार लोग,
जो जहर उगल रहे है।
और युवा पीढ़ी को
रास्ते से भटका रहे है।।


विदेशों में जाकर गांधी को, 
अपना आदर्श बताते है।
और उसके नाम को,
वहां पर भुनाते है।
और उसकी के देश में, 
उसे देशद्रोही कहते है।
और उसके हत्यारे का,
गुण गान करते है।।


जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)
06/02/2020


राजेंद्र रायपुरी

🙏आओ कर लें,माँ को प्रणाम 🙏


ममता की मूरत,
नहीं खूबसूरत।
पर चरणों में उसके,
हैं चारो धाम।
आओ कर लें, 
माँ को प्रणाम।


          निष्काम सेवा,
          चाह नहीं मिले मेवा।
          है दौलत उसकी,
          संतान की मुस्कान।
          आओ कर लें, 
          माँ को प्रणाम।


दुलारती,पुचकारती,
उतारती है आरती।
ख़ुद के दुख से नहीं, 
बच्चों के दुख से,
हो जाती है परेशान।
आओ कर लें, 
माँ को प्रणाम।


          प्रथम गुरू वही,
          देती हमें ज्ञान।
          चाह बस इतनी,
          बनें हम नेक इंसान।
          आओ कर लें, 
          माँ को प्रणाम।


माँ, अम्मा, जननी, धात्री,प्रसू,
न जाने कितने हैं उसके नाम।
पर एक ही है काम।
लालन-पालन,
शिक्षा -दीक्षा।
संतान की,
निष्काम।
आओ कर लें,
माँ को प्रणाम।


          ।।राजेंद्र रायपुरी।।


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