कुमार कारनिक


 *मनहरण घनाक्षरी*
       (मतगणना)
    
इंतजार    हाँ   हो   रहा,
मन    यूं   मचल    रहा,
हर    पल    पल    पल,
         जिया बेकरार है।
0
तुम्हे   कैसे   मैं   बताऊँ,
किस     तरह    सताऊँ,
मेरा  कल   तुम  ही  हो,
           तेरा इंतजार है।
0
इरादा   है   पक्का  मेरा,
जीत का  है  वादा  मेरा,
दिल   को  मनाऊँ  कैसे,
            नित इकरार है।
0
विकास का वादा किया,
आस  सबको ही   दिया,
जब     खुला    मतपेटी,
         जीना दुसवार है।



             🙏🏼
                     ******


प्रिया सिंह लखनऊ

जाने क्या था जो मुझमें बदलता चला गया
कागजों पर मेरा एहसास ढलता चला गया 


मैंने कई अरमान को दफना रखा था दिल में 
एक ख्वाब जो जहन में मचलता चला गया


उरूज जो हैं उनसे सीख ले लो सफर से यूँ
जो चला इद्राक होकर वो चलता चला गया


बदगुमानी की दुहाई बहुत दे देते हो यकीनन 
जो गया है सफर से वो हाँथ मलता चला गया 


कहीं इनाद बढ़ ना जाये नज़ाकत का सबा में 
बस कस़ीदे दस्तूर का फिर संभलता चला गया 


उरूज-महानता
इद्राक- समझ,बुझ 
इनाद- विरोधता
नज़ाकत- सच्चाई 
क़सीदे-तारीफ
दस्तूर- नियम



Priya singh


कुमार🙏🏼कारनिक (छाल, रायगढ़, छग)

मनहरण घनाक्षरी
       *सोच*
        """"""
बदलें  अपनी  सोच,
मन में न रखों खोट,
राहों में  बहुत  मोड़,
    चलते ही जाईये।
😌💐
सोच  विचार करना,
धैर्य   धीरज  रखना,
प्रभु के  नाम जपना,
    प्रीत ही जगाईये।
🌸😌
बदल    गए  तस्वीर,
बनों  भारत  के वीर,
बन जाओ तुम मीत,
   रीत भी निभाईये।
😌🏵
मात पिता को वंदन,
बड़ो का अभिनंदन,
तब    बनोगे   चंदन,
      धरम निभाईये।


           🙏🏼
                 *******


संजय जैन (मुंबई )

*आचार्यश्री से प्रार्थना*
विद्या : गीत भजन 


गुरुदेव प्रार्थना है ,
अज्ञानता मिटा दो।
सच की डगर दिखा,  
 गुरुदेव प्रार्थना है।
ॐ विद्यागुरु शरणम,
ॐ जैन धर्म शरणम।
ॐ अपने अपने गुरु शरणम।।


हम है तुम्हारे बालक, 
कोई नहीं हमारा।
मुश्किल पड़ी है जब भी,  
 तुमने दिया सहारा।
चरणों में अपने रख लो,  
 चन्दन हमें बना दो।
गुरुदेव प्रार्थना है ,
अज्ञानता मिटा दो।१।


ॐ विद्यागुरु शरणम , 
ॐ जैन धर्म शरणम।
ॐ अपने अपने गुरु शरणम।।
पूजन तेरा गुरवर,
अधिकार मांगते है।
थोड़ा सा हम भी तेरा,
बस प्यार मंगाते है।
मन में हमारे अपनी, 
सच्ची लगन जगा दो।
गुरुदेव प्रार्थना है ,
अज्ञानता मिटा दो।2।


ॐ विद्यागुरु शरणम , 
ॐ जैन धर्म शरणम।
ॐ अपने अपने गुरु शरणम।।
अच्छे है या बुरे है,
जैसे भी है तुम्हारे।
मुंकिन नहीं है अब हम,
किसी और को पुकारे।
अपना बन लो हमको,
अपना वचन निभा दो।
गुरुदेव प्रार्थना है ,
अज्ञानता मिटा दो।३।


ॐ विद्यागुरु शरणम, 
ॐ जैन धर्म शरणम।
ॐ अपने अपने गुरु शरणम।।


जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुंबई )
12/02/2020


कालिका प्रसाद सेमवाल मानस सदन अपर बाजार रूद्रप्रयाग उत्तराखंड

आओ  अपने अंक लगाऊं
******************
मन करता है गीत लिखूं मैं,
मन करता है प्रीति जताऊँ।


सन्ध्या की हर किरण दिवानी,
पंखुरियों की मांग सजाती।
खिलती वन वन सन्ध्या-रानी,
जीवन के मधु गीत सुनाती।


ऐसी मधुमय बेला रंगिनि,
आओ अपने अंक लगाऊँ।


उड़े विहंगम के स्वर मादक,
गगनाड्ग के छोर बिलाते।
सुमन दलों पर कर अठखेली,
मधुपरियों के शिशु अकुलाते।


मुझको दर्द बहुत है संगिनी,
कैसे तुझसे दर्द बताऊँ।


वह चन्दन की मंजुल डलिया, 
रह रह कर याद बहुत है आती।
जिसकी छाया के नीचे बैठा,
रहता था  मैं तुम शरमाती।


तुमसे प्यार  लगन है मेरी,
कैसे तुमको आज भुलाऊँ।।
********************
कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रूद्रप्रयाग उत्तराखंड
पिनकोड 246171


कालिका प्रसाद सेमवाल मानस सदन अपर बाजार रूद्रप्रयाग उत्तराखंड

हे मां शारदे
**********
हे मां वीणा धारणी
विद्या विनय दायिनी
हे मनीषिणी,
हमें विचार का अभियान दे।


योग्य पुत्र बन सकें,
स्वभिमान का दान दे ,
चित्त में शुचिता भरो,
कर्म में सत्कर्म दो।


हे मां शारदे,
वाणी में मधुरता दे
हृदय में पवित्रता दे,
हे देवी तू प्रज्ञामयी,
मैं प्रणाम कर रहा तुम्हें।
*******************
कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रूद्रप्रयाग उत्तराखंड
पिनकोड 246171


मधु शंखधर स्वतंत्र* *प्रयागराज

*मधु के मधुमय मुक्तक*
🌷🌷🌷🌷🌷🌷
*जीत*
जीत सकोगे हार कर,तब जाओगे जान।
जीत हार का खेल ही,इस जीवन का मान।
दुर्योधन की हार को, समझो पहले आप,
अहंकार जब मन बसा, भूल गया संज्ञान।।


सैनिक सीमा पर कहे, जीत लिए हम काल।
सदा तिरंगा शान हो, माँ के सुंदर भाल।
हार नहीं स्वीकार है,चाहे जाए प्राण,
हम शहीद हो कर रहें,भारत माँ के लाल।


मनुज धरे जो कर्म को, चले सदा अविराम।
कर्म करो फल त्यागकर,ध्यान धरो निज नाम।
जीत सदा निश्चित बने, मानो *मधु* मत हार,
प्रतिद्वंद्वी से लड़ सदा, जीत लिया संग्राम।।
*मधु शंखधर स्वतंत्र*
*प्रयागराज*
🌹🌹 *सुप्रभातम्*🌹🌹


एस के कपूर* *श्री हंस।बरेली

*(तन मन का स्वास्थ्य)हाइकु*



रोजाना सेब
दूर ये    रखे इन्हें 
डॉक्टर देव


ये हरी मिर्च 
सेहत का खजाना
दूर हों मर्ज


पेट हो साफ
शहद नींबू पियें
रोग हों हाफ


दूध व मठ्ठा
स्वास्थ्य के यह घर
रोज़ हो ठठ्ठा


सुबह राजा
दिन में कम खायें
रात को आधा


मत लो स्वाद
जंक फूड नहीं लो
खाओ सलाद


खीरा ककड़ी
नित    प्रतिदिन लें
बॉडी तगड़ी


मत ये सोच
योग   भगाये   रोग
जान लें लोग


ये अखरोट
यह ठीक करता
ह्रदय खोट


यह रसोई
मसालों की दुकान
रोग न होई


*रचयिता।एस के कपूर*
*श्री हंस।बरेली*
मो    9897071046
       8218685464


एस के कपूर* *श्री हंस।बरेली

*(यातायात व्यवस्था)हाइकु*


तेज रफ्तार
मुश्किल में जान
हो जानकर


यूँ बचाना है
हेलमेट लगाना
समझाना है


ये तीव्र गति
मौत को दावत ये
है भ्रष्ट मति


वजन ज्यादा
गिरना तय होगा
नहीं फायदा


लेन में चलें
बचाये और बचें
गंभीर लगें


चालान न हो
ज्यादा सवारी नहीं
जिम्मेदारी हो


टायर   सही
हवा न ज्यादा कम
यात्रा हो रही


*रचयिता।एस के कपूर*
*श्री हंस।बरेली*
मोब  9897071046
        8218685464


एस के कपूर  "श्री हंस बरेली

*विषय,,,,,,,,,,,नारी शक्ति,,,,,,,,,*


*शीर्षक,,,,,माँ, शक्ति भक्ति ममता का प्रतीक*
*,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,*
*नाम ,,,,  एस के कपूर  "श्री हंस"*
*पता,,,,,, 06 , पुष्कर एनक्लेव*,
*टेलीफोन टावर के सामने*,
*स्टेडियम रोड, बरेली  243005*
*मोब ,,,,,,9897071046*
*,,,,,,,,8218685464*


*कविता,,,,,,,,,,मुक्तक माला*
*1,,,,,,,,,*
माँ का आशीर्वाद जैसे कोई
खजाना होता है।


मंजिल की   जीत का   जैसे
पैमाना होता है।।


माँ   की   गोद   मानो  कोई
वरदान  है  जैसे।


चरणों   में  उसके  प्रभु   का
ठिकाना होता है।।



*2,,,,,,,,,,*
अहसासों का अहसास मानो
बहुत   खास है माँ।


दूर होकर भी लगता  कि बस
आस  पास   है   माँ।।


बहुत खुश नसीब होते  हैं जो
पाते माँ का आशीर्वाद।


हारते  को  भी  जीता  दे  वह
अटूट  विश्वास है  माँ।।


*,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,*


कालिका प्रसाद सेमवाल मानस सदन अपर बाजार रूद्रप्रयाग उत्तराखंड

हे मां शारदे
**********
हे मां वीणा धारणी
विद्या विनय दायिनी
हे मनीषिणी,
हमें विचार का अभियान दे।


योग्य पुत्र बन सकें,
स्वभिमान का दान दे ,
चित्त में शुचिता भरो,
कर्म में सत्कर्म दो।


हे मां शारदे,
वाणी में मधुरता दे
हृदय में पवित्रता दे,
हे देवी तू प्रज्ञामयी,
मैं प्रणाम कर रहा तुम्हें।
*******************
कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रूद्रप्रयाग उत्तराखंड
पिनकोड 246171


नमस्ते जयपुर से-- डॉ निशा माथुर

हो जाये जादू की झप्पी मम्मा को उसकी ममता के नाम पर
पिता को भी दीजिये जादू की झप्पी उनके त्याग के नाम पर 
हमारे घर के बुजुर्ग,घर के छोटे बच्चे, भाई और बहन सभी को
गले लगाके हैप्पी कीजिये सबको आज जादू की झप्पी के नाम पर!!
......................
तो आज इस झप्पी डे को मनाइए अपने अपनों के संग।
मोहब्बतों का दिन ऐसे ही रंग जाइये वैलेंटाइन के रंग।



  • कुछ तो, कुछ लोगों को ,कुछ न कुछ कड़वा लगेगा।
    लेकिन मेरा ये संदेश तो हमेशा सामाजिक हित में ही रहेगा।😃👌इसी शुभकामनाओं के साथ🙏🙏🙏🙏💐💐💐💐🍫🍫🍫🍫🌹🌹🌹🌹
    नमस्ते जयपुर से-- डॉ निशा माथुर🙏😃


प्रतिभा प्रसाद कुमकुम*

(012) प्रतिभा प्रभाती
आज प्रभाती है यूँ  खास ।
मन के भीतर है क्यूँ आस ।
कहने आया अपनी बात । 
नर नारायण पूजा खास ।
शिव गौरा भी दोनों पास ।
कृष्ण सुदामा मिलते रात ।
दान धर्म व पुण्य ही खास ।
अक्षय पात्र ही रहना बात ।
प्रतिभा प्रभाती ही सौगात ।।



🌹(सर्वाधिकार सुरक्षित स्वरचित)
      *प्रतिभा प्रसाद कुमकुम*
        दिनांक  12.2.2020......



_________________________________________


सुनील कुमार गुप्ता

कविता:-
 *"नव-युग का निर्माण करो"*
"इस धरा को स्वर्ग बनाने,
नवयुग का निर्माण करो।भक्ति में डूबा रहे तन-मन,
इस धरती पर राम बनो।।
मानव मन में विश्वास भरे,
मानव का कल्याण करो।
सुख दु:ख में सहभागी बनकर,
नवयुग का निर्माण करो।।
त्याग काम,क्रोध,मद् ,लोभ,
सत्य का आवाह्न करो।
सत्य-पथ चल कर साथी,
नवयुग का निर्माण करो।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःःःः             सुनील कुमार गुप्ता
sunilgupta.abliq.in
ःःःःःःःःःःःःःःःःः         12-02-2020


राजेंद्र रायपुरी

😄😄 दिल्ली चुनाव विश्लेषण 😄😄


सड़सठ से  बासठ हुए, और तीन  से  सात।
एक  घटा  दूजा  बढ़ा, और  न  कोई  बात।


झाड़ू कुछ छोटी हुयी, बढ़ी कमल की नाल।
फ़र्क़ न  कोई  खास  पर, बजा रहे थे गाल।


पानी-बिजली मुफ़्त की,और किराया माफ़।
चली चाल तो खूब थी, बढ़ा न लेकिन ग्राफ़।


बाँट रहे  सब  मुफ़्त में, ले जनता  से  टेक्स।
ऐसा  दानी  मत  बनो, कर दो उनको फेक्स।


मुफ़्तखोर  दिल्ली  नहीं, बना  रहे हो आप।
पेट  काटकर  टेक्स  भरें, बंद करो  ये पाप।


                   ।।राजेंद्र रायपुरी।।


सत्यप्रकाश पाण्डेय

सपने में भी तुम मुझे रिझाने लगे हो
मोहिनी मुद्रा से मन बहलाने लगे हो


भवसागर में गोते खा रही जीवन नैया
डूबते पलों में तुम्ही याद आने लगे हो


पता नहीं मुझको क्यों भेजा हूँ जग में
फिर क्यों नहीं स्मरण दिलाने लगे हो


हो जीवन आधार अहसास होता मुझे
हे भक्त वत्सल क्यों दूर जाने लगे हो


सत्य का अर्पण समर्पण तुम्हारे लिए
फिर क्यों दर्शन को तरसाने लगे हो।


श्रीराधे गोविन्द🙏🙏🙏🙏🙏🌸🌸🌸🌸🌸 


सत्यप्रकाश पाण्डेय


निधि मद्धेशिया कानपुर

 


*काश...*🌹


काश इसी भरम में उम्र गुजर जाए
तुम मुझे चाहते हो, काश.......
पसंद मेरी तुम हो तुम मुझे माँगते हो, काश...
इकरार न करना
इजहार न करना
ऐसा व्यवहार न होगा दिल दुख जाए, काश...
ताके रहना जिंदगी को
दूरी बनाए रखना,
जरा-सा जो पास आएँगे हम दोनों
बीच में मिलन बन के मौत न आए, काश....
महसूस करते हैं 
इसलिए दूरियाँ पसंद हैं
इन दूरियों का कोई अंजाम न हो
काश ऐसा हो पाए, काश.....
हम तुम्हें प्यार करते हैं बस इतना-सा
सदा होंठ तुम्हारे मुस्कुराए
तुम खुश रहो हमेशा,
इस नगर में हैं मेरे दोस्त काफी
उनके मेले में हमें तू अकेला भाए, काश....
तुमने जन्म लिया है किसी के लिए
हमने जन्म लिया है किसी के लिए
फिर भी दोनों सोंचते हैं अच्छा हो
गर हम एक हो जाए, काश.....
तुम मुझे चाहते हो
पसंद मेरी तुम हो, तुम मुझे माँगते हो,
काश इसी.......


निधि मद्धेशिया
कानपुर


सुनीला गुरुग्राम हरियाणा

मेरी बीटिया
**********
तितली जैसी चंचल है
जुगनू जैसी उजियारी
मेरे घर में है नन्ही सी एक बेटी प्यारी प्यारी।
सारे घर पे नजर है उसकी
धयान में रखती हरकत सारी
मेरे घर में है नन्ही सी 
एक बेटी प्यार प्यारी।
ऑफिस से जब घर में आँऊ
करती शिकायत सबकी भारी
मेरे घर में है नन्ही सी
एक बेटी प्यारी प्यारी।
उसका खिलता चेहरा देखकर
छू हो जाती थकान सारी
मेरे घर में है नन्ही सी
एक बेटी प्यारी प्यारी।
खिलखिला कर हँसती मुझे बुलाती
उसकी हंसी के आगे फीकी खुशियां सारी।
मेरे घर में है नन्ही सी एक बेटी प्यारी प्यारी।
मेरे घर की है वो रौनक
उससे खुशहाल गृहस्थी हमारी
मेरे घर में है नन्ही सी
एक बेटी प्यारी प्यारी।
जब वो रूठे ऐसा लगता 
रुठ गई है दुनिया सारी
मेरे घर में है नन्ही सी 
एक बेटी प्यारी प्यारी।
मेरे लिए वो खुदा की नेमत
वो ही कायनात हमारी
मेरे घर में है नन्ही सी
एक बेटी प्यारी प्यारी।।
***********
🌷सुनीला🌷


डॉ सुलक्षणा

आज गुलाब को गुलाब बेचते देखा मैंने,
खुली सड़कों पर ख्वाब बेचते देखा मैंने।


नन्हीं आँखों में लिए हुए छोटी सी हसरत,
उसे जिंदगी की किताब बेचते देखा मैंने।


पंखुड़ियों से नाजुक हाथों में थामे गुलाब,
दो रोटी के लिए बेहिसाब बेचते देखा मैंने।


गरीबी की मार ने मुरझाया दिया था चेहरा,
कांपती जुबान से जवाब बेचते देखा मैंने।


कर रहे थे मोलभाव लोग उसके साथ भी,
गरीब दिल का खिताब बेचते देखा मैंने।


"सुलक्षणा" इंसानियत को मारकर सरेआम,
 रईसों को आब-ओ-ताब बेचते देखा मैंने।


©® डॉ सुलक्षणा


श्याम कुँवर भारती

गजल -  खता करनेवाले 
दे गए दिल मे दाग दिलवार दगा देनेवाले |
ले गए मेरी जान प्रियवर वफा करनेवाले |
दिल ही तो मांगा मैंने कोई खजाना तो नहीं |
दे गए मुझको घाटा अक्सर नफा करने वाले |
फिर भी पुकारता है दिल तड़पकर नाम उनका |
कह गए मुझको पागल परवर खता करनेवाले|
सहता हु हर जुल्मो सितम सनम तेरे इश्क मे |
मुंह फेर गए मुझसे, मुझको खुदा कहनेवाले  |
तड़पाओगे कबतक जानम अबतो रहम करो |
बहा गए आँसू  छुपकर , मुझे जुदा करनेवाले |   
श्याम कुँवर भारती


जय संत रविदास


 कुमार🙏🏼कारनिक
(छाल, रायगढ़, छग)
''''"'''"""
  मनहरण घनाक्षरी
"जय बाबा रविदास"
"''""""""’""""""""""""""
जय   बाबा रविदास,
सत्य पुंज के प्रकाश,
सब मन को दे आस,
    अलख जगाई है।
💐🙏🏼
माघ पुन्नी  जन्में रवि,
जन मानस  में  छवि,
बन   गए  संत  कवि,
      जयंती बधाई है।
🌞🙏🏼
रवि   कह   रहे  मात,
मानते  जात न  पात,
करलो प्रभु के  जाप,
    शुभ घड़ी आई है।
🙏🏼💐
जब   मन   रहे  चंगा,
दिखे कठौती मे गंगा,
तैराते   सालिक  राम,
       गंगा प्रगटाई है।



💐💐🙏🏼💐💐
संत शिरोमणि रविदास 
की ६४३वीं जयंती की 
शुभकामनाएँ
💐💐🙏🏼💐💐
  ०९/०२/२०२०
                 *******


सुनीता असीम

मुक्तक
मंगलवार
११/२/२०२०


जिन्दगी का सही हिसाब करो।
पर बुराई से तुम हिजाब करो।
साथ  दे ज्ञान आपका  तब ही-
सार उसका अगर किताब करो।
***
सुनीता असीम


सुरेंद्र सैनी बवानीवाल  संपर्क - 9466865227 झज्जर ( हरियाणा

तो क्यों....... 


मैंने जब भी 
तुमसे कोई सवाल किया 
तुमने सवाल ही जवाब दिया 
बातों में उलझा लिया 


जाने क्यों 
अपने एहसासों को 
अपने तक सीमित किया 
कि तेरा मन किले जैसा है 
जिसमें सिर्फ तुम ही 
दाखिल हो सकते हो. 
किसी और के लिए 
वहाँ इजाज़त नहीं. 


जब तक तुम ना चाहो 
तो कोई आदमी
 क्या उम्मीद रखे 
तेरे बारे में क्या सोचे. 
कैसे समझे
 तेरी खामोश भाषा. 
कैसे देख पाए 
तेरी आँखों के भित्तिचित्र 
तेरे भीतर का सूनापन 
और ये हो सकता है "उड़ता "
कि तुझे तेरे हाल पर 
ख़ुश छोड़ दें 
अगर तुम रहो? 


द्वारा - सुरेंद्र सैनी बवानीवाल 
संपर्क - 9466865227
झज्जर ( हरियाणा )


udtasonu2003@gmail.com


प्रतिभा प्रसाद कुमकुम।

(011)    🙏🏻 *प्रतिभा प्रभाती* 🙏🏻
----------------------------------------------------------------------
नेह नयन है, नेह नमन है , 
यह नेह जगत का वंदन है।
यह नेह अधर की वाणी है ।
मात पिता को निज वंदन है।  
यह सबके माथे चंदन है ।


करूँ मैं कर जोड़, स्पर्श चरण ।
धरूँ शीश,चरण की धूलि है ।
जब मात पिता,सिर हाथ धरें ।
 यह अरमानों की झोली है ।


हो घर , बच्चों की किलकारी ।
हर नारी का सम्मान रहे ।
गृहवास स्वयं करती लक्ष्मी ।
 घर लक्ष्मीपति भगवान रहे ।


ऐसे घर की करूँ कल्पना ।
निज कर्म धर्म से पूर्ण रहे ।
मात पिता का हो नितवंदन ।
हर घर फिर स्वर्ग समान रहे ।।



🌹प्रतिभा प्रसाद कुमकुम।
     दिनांक  11.2.2020...


_____________________________________


भरत नायक "बाबूजी" लोहरसिंह, रायगढ़(छ.ग.) ----------------------

*"मैं तुम्हारे पास हूँ।"*(हरिगीतिका छंद)
------------------------------------------
मापनी - 2212  2212  2212  2212
विधान - 16 और 12 मात्राओं पर यति के साथ 28 मात्रा प्रति चरण। 
5वीं, 12वीं, 19वीं और 26वीं मात्रा लघु होना अनिवार्य है।
चार चरण, युगल चरण तुकांतता।(संभव हो तो चारों चरण तुकांतता।)
----------------------------------------
¶आये कभी जो कष्ट साथी, मैं तुम्हारे पास हूँ।
खोना नहीं आशा कभी भी, मैं तुम्हारी आस हूँ।।
बाधा न आये पास कोई, आन का विश्वास हूँ।
आनंद का आगाज हूँ मैं, भान मैं उल्लास हूँ।।


¶सुर-सार साजों सा सुहाना, हास मैं परिहास हूँ।
निज प्यार में जो प्राण वारे, प्रण वही मैं खास हूँ।।
मोती जड़े आशा-गगन में, चाँदनी का वास हूँ।
मैं घोर तम का अंत कर दूँ, ज्योति का आभास हूँ।।


¶गाता रहूँ मैं गीत न्यारे, रंग-रंगा रास हूँ।
साथी रहो तुम साथ मेरे, प्रेम का आवास हूँ।।
झंकार दो वीणा हिया की, तान का अहसास हूँ।
हो तुम सदा से शान मेरी, मान मैं मधुमास हूँ।।
-----------------------------------------
भरत नायक "बाबूजी"
लोहरसिंह, रायगढ़(छ.ग.)
-----------------------------------------


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