"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
डॉ० रामबली मिश्र
आचार्य गोपाल जी उर्फ आजाद अकेला
एस के कपूर श्री हंस
डॉ0 हरि नाथ मिश्र
कालिका प्रसाद सोमवाल
विनय साग़र जासयवाल
मधु शंखधर स्वतंत्र प्रयागराज
कालिका प्रसाद सोमवाल
नूतन लाल साहू
डॉ0हरि नाथ मिश्र
आचार्य गोपाल जी उर्फ आजाद अकेला
डॉ0 रामबली मिश्र
निशा अतुल्य
डॉ० रामबली मिश्र
डॉ0 हरि नाथ मिश्र
डॉ०रामबली मिश्र
डॉ० रामबली मिश्र
सुनीता असीम
पँचपर्व सम्मान समारोह सूची
पँचपर्व समारोह 2020
पंच पर काव्य समारोह 2020 में प्रतिभाग करने के लिए निम्नलिखित महानुभाव द्वारा प्रस्तुतिकरण किया गया
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संस्था प्रमुख अखिल विश्व काव्य रंगोली परिवार
पँचपर्व समारोह 2020
कार्यक्रम प्रमुख
लता विनोद नौवाल जी मुंबई-post
दयानन्द त्रिपाठी जी विशिष्ठ सहयोगी post
आदरणीया रश्मिलता मिश्रा जी सम्पादक बिलास पुर छग post
1-शोभा त्रिपाठी post
2-नाम फरजाना बेगम
तार बाहर चौक, बिलासपुर post
3-शशि लोहाटी post
4-राम नारायण साहू पेटियम post
5-वर्षा अवस्थी मिट्ठू बिलासपुर post
6-चंदन सिंह चांद post
7-कवयित्री दीप्ति प्रसाद कलकत्ता post
8-उषा जैन कोलकाता post
9-सीमा निगम,रायपुर post
10- नीलू सक्सेना देवास मप्र post
11- सुरेंद्र पाल मिश्र पूर्व निदेशक भारत सरकार post
12-राज कुमार सिंह सिसौदिया दिल्ली post
13-ज्योति तिवारी बाय अनिल तिवारी post
14- कान्ता तिवारी गंगचिरोली महाराष्ट्र post
15- अरविन्द श्रीवास्तव post
16-अंजनी सुधाकर जी बिलासपुर post
17- सौरभ पाण्डेय सुल्तानपुर post
18- लवी सिंह बहेड़ी बरेली post
19- डॉ उषा पाण्डेय जी कोलकाता post
20- जया मोहन प्रयागराज post
21- अरुणा शाह प्रेरणा post
22- अर्चना वालिया मुंबई post
23- डॉ शिवानी मिश्रा
प्रयागराज post
24- इंदू दीवान बाय आदरणीया लता मैम जी post
25-कवयित्री बिन्दू सिकंद बाय आदरणीया लता मेडम post
26- नागेंद्र नाथ गुप्ता ठाणे मुंबई post
27- सीमा शुक्ल अयोध्या post
28- प्रो शरद नारायण खरे
मंडला ,मप्र post
29- नीरज नीरू लखनऊ। post
30- Dr. Vandy Jais
डॉ वैंडी जैस post
31- प्रिया प्रिंसेज पंवार दिल्ली post
32- इंजी शिवनाथ सिंह जी लखनऊ post
33-अर्चना द्विवेदी अयोध्या post
34- अन्जनी अग्रवाल कानपुर। post
35 डॉ इन्दु झुनझुनवाला बैंगलौर post
36 चंदा पहलादका कोलकाता post
37 चंद्रभान सिंह चांद post
38- नीतेश उपाध्याय post
39- Dr प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, post
40- सोनी सिंह बाय लता मैम post
41 डॉ अर्चना प्रकाश जी लखनऊ post
42- लक्ष्मीकांत मुकुल post
43 मधु शंखधर प्रयागराज post
44- सुबोध झा झारखंड post
45-संगीता श्रीवास्तव छिंदवाड़ा post
46 यशपाल सिंह चौहान दिल्ली post
47-स्वदेश कुमारी प्रिंसिपल मुरादाबाद
48,49,50,रिजर्व काव्यरंगोली
विनय साग़र जायसवाल
ग़ज़ल
सर उठा कर जो सर-ए-राहगुज़र चलते हैं
ऐसे किरदार ज़माने को बहुत खलते हैं
हुस्ने -मतला-
हाथ में हाथ पकड़ कर यूँ चलो चलते हैं
ऐसे मौक़े भी कहाँ रोज़ हमें मिलते हैं
हमसे रौनक़ है हमेशा ही सनमख़ाने की
एक दीदार से वो गुल की तरह खिलते हैं
कैसे इज़हारे-मुहब्बत मैं भला कर पाऊँ
बात करने में सदा होंट मेरे सिलते हैं
रौशनी यूँ भी है महफ़िल में अदब की लोगो
दीप सारे ही लहू पी के यहाँ जलते हैं
जाम पीते हैं निगाहों से किसी की हम जो
मयकदे रोज़ नये हम पे यहाँ खुलते हैं
हुस्न की बज़्म में तुम पाँव संभल कर रखना
कितने दीवाने यहाँ हाथ सदा मलते हैं
मेरे मौला तू इन्हें यूँ हीं सलामत रखना
इन अमीरों से ग़रीबों के दिये जलते हैं
आपके एक तबस्सुम की बदौलत *साग़र*
मेरी आँखों में हसीं ख़्वाब कई पलते हैं
🖋️विनय साग़र जायसवाल
आचार्य गोपाल जी उर्फ आजाद अकेला
🌹🙏🌹सुप्रभात🌹🙏🌹
अंकुरित अन्न आमला अमरुद अंगूर अन्य खट्टे फल ,
शलजम सेव चुकंदर चौलाई केला बेर बिल्ब कटहल ,
टमाटर मूली पत्ते पालक पुदीना ताजी सब्जियां ताजे फल ,
बंदगोभी मुनक्का दूध दही दालें आजाद खाना देखकर ध्यान ।
नारंगी नींबू रोज रसदार फल लेना उचित प्रमाण,
इन सब में मिले विटामिन सी तुम लो इनको पहचान ।
मोतियाबिंद मसूड़े से खून व मवाद मुंह के बदबू से हो त्राण,
श्वेतप्रदर संधि शोथ स्कर्वी सांसों की कठिनाई से पाए आराम ।
एलर्जी सर्दी जुकाम आंख कान नाक के रोगों से मिल जाए आराम ,
अल्सर का फोड़ा चेहरे के धब्बे फेफड़े में मजबूती करें प्रदान ।
✍️आचार्य गोपाल जी उर्फ आजाद अकेला बरबीघा वाले
डॉ0 हरि नाथ मिश्र
वहम(ग़ज़ल)
यदि मन में पलता ज़रा भी वहम है,
दुनिया लगे के यहाँ ग़म ही ग़म है।।
बहुत ही भयानक वहम भाव भरता,
लगे भूतखाना निजी जो हरम है।।
लाता विचारों में बदलाव झटपट,
वही शत्रु लगता जो अपना सनम है।।
सुकूँ-चैन सारे वहम छीन लेता,
छुपा साथ रहता सदा ही भरम है।।
कभी भी न निर्णय ये लेने देता,
बड़ा बेरहम ये न करता रहम है।।
ख़ुदा न करे के कभी ऐसा होए,
यदि हो गया समझो फूटा करम है।।
न चैन दिन में न रातों में नींदिया,
काँटे चुभोता जो बिस्तर नरम है।।
©डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446373
डॉ० रामबली मिश्र
*आइये....(ग़ज़ल)*
आइये दिखाइये अब गगन प्यार का।
चाहता हूँ देखना मैं मगन यार का।।
आइये सुनाइये अब प्यार के भजन।
पूछिये कुछ हाल-चाल मजेदार का।।
होइयेगा गुम नहीं कभी भी भूलकर।
आइये आलोक बनकर इंतजार का।।
कीजिये वफा सदा कसम है प्यार का।
कीजिये सम्मान सदा वफादार का।।
प्यार को ईश्वर समझकर पूजिये सदा।
ईश की कसम में छिपा कसम प्यार का।।
प्यार के एहसान को न भूलना कभी।
मस्त-मस्त चीज है हृदय है प्यार का।।
प्यार को टुकड़ों में कभी देखना नहीं।
समग्रता की नींव पर है जिस्म प्यार का।।
प्यार में ही जाइये बहते हुये सदा।
आइये मनाइये नित पर्व प्यार का।
डॉ० रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
एस के कपूर श्री हंस
*।।रचना शीर्षक।।*
*।।अनमोल है रिश्तों की सौगात,*
*इन्हें रखो संभाल कर।।*
अहम और वहम मानो तो
रिश्तों की आरी है।
जिद्द और मुकाबला रिश्ते
हारने की तैयारी है।।
अपनेपन ओअहसास में बसा
जीवन रिश्तों का।
झूठे रिश्ते स्वार्थ में मुफ्त
की सवारी है।।
दिल समुन्दर रखो कि नदी
खुद मिलने आयेगी।
एक दूजे के सम्मान से ही
दोस्ती खिलने पायेगी।।
मत तुलना करते रहें दुःख का
कारण बनती है।
मन में ईर्ष्या तो जरूर दोस्ती
टूटने को जायेगी।।
रिश्ते जिये जाते हैं और रिश्ते
निभाये जाते हैं।
खुद हार कर भी कभी रिश्ते
जिताये जाते हैं।।
जहर यूँ नहीं घुलता एक बार
में जाकर कहीं।
नासमझी में तिल तिल रिश्ते
तुड़वाये जाते हैं।।
*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।।*
मोब।।। 9897071046
8218685464
नूतन लाल साहू
श्रृद्धा
जब नाव भी तेरी,दरिया भी तेरा
लहरें भी तेरी और हम भी तेरे
तो डूबने का क्या,खौफ करे प्रभु जी
प्रभु जी तेरा लाल हूं मै
तू भूल न जाना
जैसा भी हूं,तेरा अंश हूं
मुझे कभी न भुलाना
भूल गया था तुझको
जग की माया मोह में
आज फिर से मैंने पुकारा है
प्रभु जी दे दे सहारा
मेरा और न कोई ठिकाना
जब नाव भी तेरी, दरिया भी तेरा
लहरें भी तेरी और हम भी तेरे
तो डूबने का क्या, खौफ करे प्रभु जी
उलझी हुई है मेरी जिंदगी
प्रभु जी फिर से सजाना
तेरी महिमा है बड़ी भारी
आकर मुझे राह दिखाना
क्या भूल हुई मुझसे
जो भूल गया था,तेरा दिखाया डगर
मझधार में है,मेरी नैय्या
सुझे नहीं किनारा
हो जाऊ तुझमे,ऐसी मगन
ना डोलाए,तेरी माया
जन्मो का है,भक्त भगवान का नाता
सुन लो न अर्जी हमारा
टूटे न अपना रिश्ता
ये भक्त है तुम्हारा
जब नाव भी तेरी, दरिया भी तेरा
लहरें भी तेरी और हम भी तेरे
तो डूबने का क्या, खौफ करे प्रभु जी
नूतन लाल साहू
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दयानन्द त्रिपाठी निराला
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