भोजपुरी पारंपरिक होली गीत 6- जागा जागा हे महादेव |
जागा जागा हे महादेव अइले फागुन के महीनवा |
लगावे लोगवा भोला रंगवा अबिरवा |
जागा जागा हे महादेव |
पार्वती जगावे संग कार्तिक गणेश जगावे |
नंदी जगावे जोरी जोरी करवा |
जागा जागा हे महादेव |
ब्र्म्हा विष्णु अइले ,विनवा बजावत नारद अइले |
गाई गाई फगुआ नारद थकी गइले गरवा |
जागा जागा हे महादेव |
फू फू फूहकारी भोला नाग देव जगावे |
डम डम बाजत डीम डमरू जी जगावे |
ठाड़े ठाड़े त्रिशूलवा दबावे भोला गोड़वा |
जागा जागा हे महादेव |
जटवा उतरी गंगा भोला गोड़वा पखारे |
चम चम चमकी चन्दा मथवा निहारे |
तबों नहीं जागे भोला बीते फागुन के महीनवा |
जागा जागा हे महादेव |
हारी थकी देवलोग भांग पिसे लागल |
केहु लिआवे धतूरा केहु गाँजा लेवे भागल |
सबकर भक्ति देखि शिव खुल गइले नयनवा |
जागा जागा हे महादेव अइले फागुन के महीनवा |
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि /लेखक /गीतकार /समाजसेवी
मोब।/व्हात्सप्प्स -9955509286
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
श्याम कुँवर भारती (राजभर ) कवि /लेखक /गीतकार /समाजसेवी
अंजना कण्डवाल 'नैना'
*""""""'''शिवरात्रि""""""""*
पंचभूत को मिला इसी दिन
सृष्टि का निर्माण किया।
विराट रूप लिया यहाँ फिर
अग्निलिंग अवतार लिया।
अमर तत्व की चाह में जब
समुद्र का मंथन किया।
सर्व प्रथम कालकूट विष तब,
जलधि से बाहर निकला।
कालकूट विष के कारण जब
पूरा ब्रह्माण्ड आकुल हुआ।
पिया हलाहल विश्वहित के लिए,
नीलकंठ तब नाम हुआ।
शिव भक्तों ने फिर पूरी रात्रि में,
शिव के साथ जागरण किया।
फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी का दिन,
शिवरात्रि नाम से प्रसिद्ध हुआ।
इसी दिवस पर शिव ने एक दिन,
माँ पार्वती से विवाह किया।
इस जगत की रचना में फिर
अर्धनरेश्वर अवतार लिया।
महाशिवरात्रि का पर्व ये पवन,
करें हम शिव की आराधना।
शिव की भक्ति करता जो मन से,
उसको वांछित वरदान मिला।
शिव होने की भी इस जग में
है बहुत ही कठिन राह।
विश्व कल्याण के लिए जिसने,
हलाहल का पान कर लिया।
©®
अंजना कण्डवाल 'नैना'
डा.नीलम अजमेर
*शिव-ब्याह*
आज नशा भांग का
कुछ ऐसा चढ़ा
देवाधिदेव महादेव का
विवाह जो है रचा
भूत,प्रेत,पिशाच,किन्नर
बन बाराती साथ चले
भस्म रमाए जिस्म पे
कालन के काल महाकाल पार्वती ब्याहन चले
हवाओं ने साज छेड़े
पातन ने छेड़े सुर हैं
बिजली के पाँव थिरके
लहरों में रवानी आई
देख अनोखी बारात
दक्ष विचलित हुए
द्वार-पूजन खड़ी मात् के भी
नयन अचरज भरे
गलियन में मे शोर मचा
शिवजी पार्वती ब्याहन चले।
डा.नीलम
सत्यप्रकाश पाण्डेय
ख्वाबों में तू भावों में तू
तू ही दिल की धड़कन में
स्वांस स्वांस रोम रोम में
तू मेरे मन की पुलकन में
जकड़ा जकड़ा सा रहता
नहीं रहती हो मेरी दृष्टि में
रोमांचित पल पल लगता
रहूँ तेरी यादों की वृष्टि में
दिलजुबा तू दिलवर मेरी
दिल पर डाला डाका तूने
दिल दिखा दिलदार मेरी
किया प्रभात भी राका तूने
दिशा दिशा में दृष्टि लगाये
दिकभ्रमित सा होता रहता
दिख जाये दिल के करीब
मैं तुझमें दिल लगाये रहता
द्रवित हुआ सा दीन बना
चातक को दिनकर की चाह
सत्य बना दीवाना दिलकश
बस तेरे दीदार की परवाह।
सत्यप्रकाश पाण्डेय
संदीप कुमार विश्नोई दुतारांवाली अबोहर पंजाब
जय माँ शारदे
हर हर महादेव
चतुष्पदी छंद
शिव शंकर भोले , मम मन डोले , दया करो त्रिपुरारी।
मैं दर पर आया , शीश नवाया , कष्ट हरो त्रिपुरारी।
गल मुण्डन माला , नैन विशाला , रूप चतुर्भुज धारी।
जन जन सुखदायक , सदा सहायक , भक्तन के हितकारी।
संदीप कुमार विश्नोई
दुतारांवाली अबोहर पंजाब
संजय जैन (मुम्बई)
ॐ नमः शिवाय
*महाशिवरात्रि*
विधा: कविता
शिव है सबके कर्ताधर्ता।
शिव देते है भक्तों के
वरदानकर्ता।
तभी तो पाते सुख शांति हम सब।
शिव के बिना जग है सुना सुना।
इसलिए हर कोई कहता
सुबह शाम ॐ नमशिवाय।।
जो रखते है महाशिवरात्रि का व्रत,
और करते शिवजी की पूजा।
तो हो जाती उनकी सारी इच्छाएं पूरी।
शिव जैसा दयालु जग में कोई नही है दूजा।
इसलिए पूजते जाते
विश्व के घर घर में।।
नाम यदि शिव के साथ
न लिया जाये मां पार्वती का।
तो महाशिवरात्रि का अर्थ
है अधूरा।
क्योंकि भक्तों की सिपरिश कर्ता सदा ही मां पार्वती होती है।
इसलिए सबसे ज्यादा
महिलाये पूजे शिव पार्वती को है।।
सभी पाठकों और मित्रो को महाशिवरात्रि की बहुत बहुत बधाई और शुभ कमानाएँ ।
ॐ शिव नमः
संजय जैन (मुम्बई)
21/02/2020
विवेक दुबे"निश्चल रायसेन
ध्यान क्या है ।
विचार क्या हैं ।
ध्यान शिवतत्त्व ।
विचार वासना ।
विचार शून्यता ,
वासना की समाप्ति ।
शांत चित्त ,
शिव सी भक्ति ।
........
वासना ही तो समाप्त होती है ।
तभी शिवत्व की उत्पत्ति होती है ।
-----विवेक दुबे"निश्चल"@....
देवानंद साहा "आनंद अमरपुरी"
----------------महाशिवरात्रि----------------
ओ भोलेबाबा कब से करूँ मैं इंतज़ार।
तुझसे मिलने को मेरा मन है बेकरार।।
अवढरदानी कहाते , भांग पीते-पिलाते ;
शिव-पार्वती गीत गाते , चलते व्रती धार।।
काशीनाथ,सोमनाथ,वैद्यनाथ,ज्येष्ठगौरनाथ;
रुद्राभिषेक की सर्वत्र , परम्परा है अपार।।
भँवर में फंसा है सब , अज्ञान बनकर ;
अब तो लगा दे सबका , तू ही बेड़ापार।।
ढूंढे "आनंद" अपनी , मन की गहराई में;
अब तो मिला दे इससे , तू ही बारम्बार।।
-------------देवानंद साहा "आनंद अमरपुरी"
एस के कपूर श्री हंस* *बरेली
*महाशिवरात्रि।।।।।।।।।।।।।।।।।*
*।।।।।।।।मुक्तक।।।।।।।।।।।।।।।*
महादेव ने नृत्य तांडव से किया
अत्याचार का दमन है।
नील कंठ ने संसार के उद्धार
को पिया विष गमन है।।
हर भक्त को भोलेनाथ पूजन का
मिलता है अद्धभुत फल।
महा शिवरात्रि के पावन पर्व पर
भगवान शंकर को नमन है।।
*महा शिवरात्रि की अपार शुभकामनायों*
*सहित।*
*आपका।।।।एस के कपूर श्री हंस*
*बरेली।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।*
मोब।।।।। 9897071046।।।।।।।।।
8218685464।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
सुनील कुमार गुप्ता
कविता:-
*"जीवन-पथ"*
"मंज़िल नहीं मेरी कोई,
यूँही बढ़ते जाना है।
थक न जाये मन साथी यहाँ,
तन को साथ निभाना है।।
दुर्गम जीवन पथ है-साथी,
फिर भी चलते जाना है।
माने न माने मन ये यहाँ,
कर्म तो करते जाना है।।
साथ मिले उनका जीवन में,
ये तो भूल जाना है।
मिले जीवन पथ पर साथी,
पल-पल साथ निभाना है।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःःःःः सुनील कुमार गुप्ता
एस के कपूर श्री* *हंस।बरेली
*क्या बनते जा रहे हैं हम*
*मुक्तक*
गमों में रोना ही ओ सुखों
की चाह चाहते हैं।
आह की बात नहीं बस
हम वाह चाहते हैं।।
परवाह नहीं हमें किसी
जीवन मूल्य की।
जाने हम चलना कौन सी
राह चाहते हैं।।
*रचयिता।एस के कपूर श्री*
*हंस।बरेली।*
मो। 9897071046
8218685464
एस के कपूर* *श्री हंस।बरेली
*बनो तुम मानव बस ये एक*
*ख्वाब चाहिए।मुक्तक।*
प्रभु ने दिया है जीवन
उसको जवाब चाहिए।
तेरे भीतर छिपा यह
नकली रुआब चाहिए।।
ईश्वर ने बनाई तेरी मूरत
किसी सरोकार के लिए।
उसको तुझमें एक अच्छा
इंसान नायाब चाहिए।।
*रचयिता।एस के कपूर श्री*
*हंस।बरेली।*
मो। 9897071046
8218685464
एस के कपूर* *श्री हंस।बरेली
*इश्क ,,,प्यार,,,,महोब्बत*
*हाइकु*
कितना प्यार
सितारों की गिनती
है बेशुमार
माने न दिल
यह रस्मे जग की
जाने न दिल
दुआ देते हैं
हमारी उम्र लगे
ये कहते हैं
ये प्रेम रोग
मिलन ही है दवा
न चाहें लोग
दिल के जख्म
तेरे पास ही तो है
ये मरहम
नहीं हो जुदा
जी कर भी जिये न
ए मेरे खुदा
हम सफर
बंधी जीवन डोर
हैं हर दर
ये महोब्बत
हम साथ साथ हैं
एक रंगत
*रचयिता।एस के कपूर*
*श्री हंस।बरेली*
मो 9897071046
8218685464
राजेंद्र रायपुरी
🔔 महाशिवरात्रि पर विशेष 🔔
जय-जय, जय हो जय त्रिपुरारी।
जय-जय जय हो, डमरूधारी।
जय-जय जय हो,जय शिवशंकर,
जय-जय जय हे, गंगाधारी।
भस्म शरीर लगाने वाले।
भाँग - धतूरा खाने वाले।
भक्तों के तुम हो हितकारी,
जय-जय जय हे, गंगाधारी।
हाथ त्रिशूल, कमर मृगछाला।
लिपटा नाग गले में काला।
नंदी करते सदा सवारी।
जय -जय जय हे, गंगाधारी।
भक्त तुम्हारे, जग में सारे।
करते बम-बम के जयकारे।
उनपर रहती कृपा तुम्हारी,
जय-जय जय हे, गंगाधारी।
संत तुम्हें निश दिन हैं ध्याते।
ब्रम्हा - विष्णू शीश नवाते।
कह-कह जय भोले -भंडारी,
जय-जय जय हे, गंगाधारी।
हम भी आए द्वार तिहारे।
लगा रहे बम के जयकारे।
लगती काशी नगरी प्यारी,
जय-जय जय हे, गंगाधारी।
धन्य कहें हम भाग्य हमारे।
पहुँच गये जो द्वार तुम्हारे।
मनसा पुरवहु नाथ हमारी,
जय-जय जय हे, गंगाधारी।
।।राजेंद्र रायपुरी।।
सत्य प्रकाश पाण्डेय
तुम्ही बंधु और मीत हमारे
तुम्ही हो जीवन के रखवारे
स्वांत बून्द को तरसे चातक
माँ की ममता को ज्यों जातक
वैसे दरस परस को स्वामिन
है यहां व्याकुल प्राण हमारे
तुम्ही बंधु..........
तुम्ही हो ...........
फसल को है बरसा की चाहत
जल पाकर मछली को राहत
मझधार डूबती नैया को प्रभु
जैसे तिनका बन जाएं सहारे
तुम्ही बंधु.........
तुम्ही हो...........
अज्ञ हिय को वेदों की वाणी
जैसे पावस सबको लगे सुहानी
अंधकार सा घिरा यह जीवन
बनो आशा की किरणें प्यारे
तुम्ही बंधु .......
तुम्ही हो........
अलंकारों से काव्य अलंकृत
संस्कृति से संस्कार सुसंस्कृत
तेरी परम् ज्योति से स्वामी
अब हृदय मण्डित होंय हमारे
तुम्ही बंधु.........
तुम्ही हो जीवन ............।।
सत्यप्रकाश पाण्डेय
श्याम कुँवर भारती [राजभर] कवि ,लेखक ,गीतकार ,समाजसेवी ,
महाशिवरात्री के अवसर पर दूसरा
हिन्दी शिव भजन -10 -आया हूँ बाबा |
आया हूँ बाबा शरण तुम्हारे |
गिरा पड़ा हूँ चरण तुम्हारे |
आया हूँ बाबा शरण तुम्हारे |
तेरे बिना ना रहेंगे बाबा |
अकेले रहेंगे ना संसार मे |
कोई नहीं है मेरा बाबा |
सुध बुध खोया मैंने |
ठोकर खाया हर बार मे |
तेरे बिना दिन हम कैसे गुजारे |
आया हूँ बाबा शरण तुम्हारे |
कहते है लोग तुझको |
तू है बड़ा दानी |
औघड़ दानी भोला तुम हो |
ठहरा मै अज्ञानी |
रोई रोई भारती बाबा तुझको पूकारे |
आया हूँ बाबा शरण तुम्हारे |
किरीपा करोगे ना तुम तो
भला अब कौन करेगा |
सब ओर भटका हूँ अब तों |
ठिकाना कौन मुझको देगा |
नइया मेरी लगा दो अब तो किनारे |
आया हूँ बाबा शरण तुम्हारे |
श्याम कुँवर भारती [राजभर]
कवि ,लेखक ,गीतकार ,समाजसेवी ,
मोब /वाहत्सप्प्स -9955509286
कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" नयी दिल्ली
रचना सं. : २७२
दिनांक: २१.०२.२०२०
वार: शुक्रवार
विधा: दोहा
छन्द : मात्रिक
शीर्षक: 🙏 द्वादश ज्योतिर्लिङ्ग स्तुति🙏
सोमनाथ सौराष्ट्र में , करुणाकर अवतार।
चारु चन्द्र धर शिखर शिव , गंगाधर संसार।।१।।
उच्च शिखर श्रीशैल पर , प्रमुदित देव निवास।
बाघम्बर मल्लिकार्जुन , पूजन पति कैलाश।।२।।
अकालमृत्यु रक्षक प्रभु , मोक्ष प्रदाता सन्त।
महाकाल उज्जैन में , महिमा नमन अनंत।।३।।
कावेरी नर्मद मिलन , पावन निर्मल धार।
ओंकारेश्वर शिव करे , भवसागर से पार।।४।।
चिताभूमि पूर्वोत्तरी , सदा वास गिरिजेश।
देवासुर पूजित मनुज , बैद्यनाथ परमेश।।५।।
आभूषण सज्जित प्रभु , दक्षिण क्षेत्र सदंग।
भक्ति मुक्ति दाता स्वयं , नागेश्वर अर्धाङ्ग।।६।।
बसे सदा केदार तट , नीलकंठ केदार।
मुनि देवासुर यक्ष अहि , पूजित शिव संसार।।७।।
दर्शन दे पातक हरे , सह्यशिखर उत्तुंग।
बसे त्र्यम्बकेश्वर प्रभु ,मानस शिव जय गुंज।।८।।
सेतु बना निज बाण से , उच्छल जलधि तरंग।
रामेश्वर शिव स्थापना , राम भक्ति नवरंग।।९।।
भूत प्रेत सेवित सदा , नमन करूं करुणेश।
डाकशाकिनी वृन्द में , भीमशंकर जटेश।।१०।।
विश्वनाथ शरणं व्रज , काशीपति भगवान।
हरो पाप पातक मनुज, शरणागत वरदान।।११।।
ज्योतिर्मय भगवान् प्रभु , इलापुरी रनिवास।
घृष्णेश्वर समुदार शिव, करूं नमन उपवास।।१२।।
पूजन विधि पूर्वक करूं,धतुर भांग बेलपत्र।
थाल सजा शिव आरती , गाऊं मंगल मंत्र।।१३।।
कर ताण्डव विकराल बन,धर त्रिशूल अरि नाश।
द्वादश ज्योतिर्लिङ्ग शिव , त्रिपुरारी जन आश।।१४।।
सत्य शिवम नित सुन्दरम् , सुखमय हो संसार।
महाकाल गौरीश तव , महिमा अपरम्पार।।१५।।
फिर सीता आहत विकल ,कलि रावण दुष्कर्म।
रक्षण कर शिव द्रौपदी , सती लाज रख धर्म।।१६।।
संकट में मां भारती , क्लेशित निज गद्दार।
प्रलयंकर शंकर विभो , करो दनुज संहार।।१७।।
दुश्शासन करता हरण , भरी सभा निर्लाज।
ठोक रहा निज जांघ को , दुर्योधन आवाज।।१८।।
पुन: उठाओ पाशुवत् , हे त्रिनेत्र भु्वनेश।
नंदीश्वर तारक दमन , महादेव हर क्लेश।।१९।।
शूलपाणि जगदीश शिव , हरो जगत संताप।
कर निकुंज कुसमित सुरभि,जलता ख़ुद मन पाप।।२०।।
आज महाशिवरात्रि में , रख पूजन उपवास।
परिणय गौरी - शिव प्रभो , दर्शन मन अभिलाष।।२१।।
कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
रचना: मौलिक(स्वरचित)
नयी दिल्ली
सुरेंद्र सैनी बवानीवाल संपर्क - 9466865227 झज्जर ( हरियाणा )
कुछ बातें......
है इस जहाँ में कुछ तो रिश्ते अजीब से.
यहाँ दोस्तों के चेहरे कभी लगते रकीब से.
कुछ दूर चलने वाले हर मोड़ पर मिलेंगे,
हमराह ज़िन्दगी में मिलते हैं नसीब से.
जीवन कितना अनमोल है
पूछो रेत पर तड़पती मछलियों से
रिश्ता होता है कितना नाजुक दोस्ती का,
पूछो बिगड़ती हुई अंतरंग सहेलियों से,
कुछ लोग तो ज़माने में समझ नहीं पाते.
गुजर जाती है ताउम्र उनकी पहेलियों से.
अच्छे -बुरे की पहचान हम तुम्हें बताए कैसे,
पूछ लो ये हमारे धड़कते दिल से.
जिसे तुम अपना समझो,
उसकी बातों को मान लिया करना.
"उड़ता "ये दुनिया बहुत ज़ालिम है,
हर किसी पर ना भरोसा करना.
द्वारा - सुरेंद्र सैनी बवानीवाल
संपर्क - 9466865227
झज्जर ( हरियाणा )
udtasonu2003@gmail.com
स्नेहलता नीर रुड़की
गीत
छूकर मेरा तन-मन *मोहन* ,मुझे मलय कर दो।
दो सद्बुद्धि विवेक *दयानिधि* ,भाग्य उदय कर दो ।
1
अनजानी सी डोर *अनन्ता* ,बाँधे है तुमसे।
यही तुम्हारा ठौर- ठिकाना कहती है मुझसे।
निश्छल मन की प्रीति *साँवरे* , तुम अक्षय कर दो।
दो सद्बुद्धि विवेक *दयानिधि* ,भाग्य उदय कर दो।
2
स्वर मुरली के मधुर *चतुर्भुज* ,अति मन को भाते.।
बजने लगती है पायलिया,पाँव थिरक जाते।
मेरी बातों में मीठे स्वर, *कृष्ण* विलय कर दो।
दो सद्बुद्धि विवेक दयानिधि,भाग्य उदय कर दो।
3
आ जाओ *देवेश* , *मनोहर* ,तुम्हें बुलाती हूँ।
करती हूँ मनुहार तुम्हारे,स्वप्न सजाती हूँ।
प्रणय निवेदन के भावों को,देवालय कर दो।
दो सद्बुद्धि विवेक *दयानिधि* ,भाग्य उदय कर दो।
4
अंतहीन मन के उपवन में, पतझर छाया है।
दुख की बदली ने आँखों
से,जल बरसाया है।
मन की बगिया को *माधव* मधु,मास निलय कर दो।
दो सद्बुद्धि विवेक दयानिधि,भाग्य उदय कर दो
5
राग-द्वेष,छल-छंदों की प्रभु ,फसलें हरी-भरी।
सद्भावों की कोमल कलियाँ,रहतीं डरी-डरी।।
गंगा की पावन धारा-सा,विमल हृदय कर दो।
दो सद्बुद्धि विवेक *दयानिधि* ,भाग्य उदय कर दो।
स्नेहलता नीर
मंजूषा श्रीवास्तव'मृदुल'
💐💐💐💐💐💐💐💐
महाशिवरात्रि के महापर्व पर सभी शिव भक्तों को बहुत बहुत बधाई।
💐💐💐💐💐💐💐💐
सच्चे मन से जो करे शिव का जलाभिषेक |
कटते सभी कलेश हैं मिलती कृपा अनेक |
शिवा और शिव का मिलन कुछ न रहा अशेष |
जल बरसाकर इंद्र ने आज किया अभिषेक|
©मंजूषा श्रीवास्तव'मृदुल'
गौरव शुक्ल सुपौत्र राष्ट्रकवि पण्डित वंशीधर शुक्ल मन्योरा
कालकूट को पीकर जिसने रक्षा की त्रिभुवन की,
लाज बचाई देवों की व इंद्र के सिंहासन की।
पल में कामदेव पर होकर कुपित भस्म कर डाला,
औघड़ वेश रचा, डेरा कैलाश शिखर पर डाला।
जिनके जटाजूट में माँ गंगा क्रीड़ा करती है,
सर्प गले में लटकाये छवि जिनकी मन हरती है।
मस्तक पर तीसरा नेत्र है शोभा पाता जिनके,
और दाहिने कर में है त्रिशूल लहराता जिनके।
वृषभ सवारी है जिनकी चंद्रमा सोहता सिर पर,
करते हैं विस्मय-विमुग्ध जो तांडव नृत्य रचाकर।
भाँग, धतूरा, बिल्वपत्र पाकर प्रसन्न हो जाते,
जो पदार्थ सबको अप्रिय हों वही इन्हें मन भाते।
भूत प्रेत बैताल चाकरी करते रहते जिनकी,
जिनमें क्षमता है जगती के हर दुख दोष हरण की।
जिनके डमरू से माहेश्वर सूत्र निकल कर आए,
कर लिपिबद्ध जिन्हें पाणिनि व्याकरण जनक कहलाए।
जो अखंड सौभाग्य दायिनी जग में कहलाती हैं,
वाम भाग में इनके वही उमा शोभा पाती हैं।
आशुतोष वह अवढर दानी हों प्रसन्न हम सब पर,
हरें विघ्न बाधाएँ सारी वह कृपालु जगदीश्वर। ''
महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐
गौरव शुक्ल
मन्योरा
डॉ राजीव पाण्डेय*
*🕉महा शिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं🕉*
और हित जागरण सीख लें।
दर्द का व्याकरण सीख लें।
कंठ में शम्भु सा रख गरल,
पीयुषी आचरण सीख लें।
बीच भँवर जब भी फँसा,
अगर कहीं जलयान।
कंठ गरल धारण किया,
लगा शम्भु ने ध्यान।
दैत्य दानवी चाल का,
जिसे पूर्व में ज्ञान।
हमें सुधा वितरित किया,
करके खुद विषपान।
🕉डॉ राजीव पाण्डेय🕉
*डॉ राजीव पाण्डेय*
नूतन लाल साहू
माघी पुन्नी
चल संगी मेला,देखे बर जाबो
महादेव के दर्शन, ल पाबो
माघ पुन्नी,सुग्घर परब तिहार
संगम मा, डुबकी लगा बो
चल संगी मेला,देखे बर जाबो
धथुरा, फुड़हर के संग म
नरियर, बेलपतरी चढ़ाबो
अपन जिंनगी ल सुफल बनाबो
चल संगी,मेला देखे बर जाबो
महादेव के दर्शन,ल पाबो
ज्ञानम, शिलं,शिवम् सुंदरम
भक्तन के,हितकारी है
वेद शास्त्र, पुराण से ऊपर
जिनकी महिमा न्यारी है
चल संगी मेला,देखे बर जाबो
महादेव के दर्शन,ल पाबो
माथे में चंदा, जटा में गंगा
हर हर बोले,हर कोई बंदा
ये भोला के चोला ह
मोह डारे गा, अडबड़ मोला
चल संगी मेला,देखे बर जाबो
महादेव के दर्शन,ल पाबो
हमू ल तय ह, तार लेबे
जइसन सब ल तारे
तोर शक्ति के आगे भोला
सब के शक्ति ह हारे
दुर दुर ले आयेन भोला
तोर मंदिर के द्वारे
दर्शन तय ह दिखा देबे
जय जय होय तुम्हारे
चल संगी मेला,देखे बर जाबो
महादेव के दर्शन,ल पाबो
नूतन लाल साहू
जसवीर हलधर
महाशिवरात्रि पर - शिव स्तुति
--------------------------------------
अकाल काल सर्प माल धार के चले शिवा ।
नमो शिवा नमो शिवा नमो शिवा नमो शिवा ।।
विशाल भाल दीर्घ रूप चंद्र मस्तके सजे ।
दिगम्बरा वघम्बरा कि देह राख में रजे ।
त्रिशूल शूल सारथी करे समाज आरती ,
ललाट गंग घूमती व चूमती घटा घटा ।
नमो शिवा नमो शिवा नमो शिवा नमो शिवा ।।
पिशाच नाच नाचते अघोर भूत प्रेत भी ।
निनाद नाद गूंजते मसान पूत स्वेत भी ।
मृदंग शंख बाजते सभी मलंग नाचते ,
भुजंग संग संग आग आब औ हवा हवा ।
नमो शिवा नमो शिवा नमो शिवा नमो शिवा ।।
गंधर्व देव यक्ष नर सनंद भीम शैल पै ।
लगे समाधि खाल पै रहे सवार बैल पै ।
रमा वही नियोग में जमा वही वियोग में ,
त्रिनेत्र नेत्र काल का सदा रहे खुला खुला ।
नमो शिवा नमो शिवा नमो शिवा नमो शिवा ।।
काल रहे भाल पर माधुरिय राग रंग ।
तुचा सिंह आसन है गले शोभते भुजंग ।
वही वात पित्त में है वही प्राण चित्त में है ,
ओम व्योम कक्ष कील घूमती धरा धरा ।
नमो शिवा नमो शिवा नमो शिवा नमो शिवा ।।
हलधर -9897346173
जसवीर हलधर
ग़ज़ल ( हिंदी)
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पूरा हुआ अज़ाब चलो लौट घर चलें ।
कानून का दबाव चलो लौट घर चलें ।
साकी न है शराब चलो लौट घर चलें ।
सोचो नहीं जनाब चलो लौट घर चलें ।
है मयकदा भी दूर अभी काम क्या करें ,
पढ़ने चलें किताब चलो लौट घर चलें ।
बेकार भटकने से कोई लाभ ही नहीं ,
खाएं रखा पुलाब चलो लौट घर चलें ।
हटती नहीं जमात क्यों शाहीन बाग से ,
मुंह पर चढ़े नक़ाब चलो लौट घर चलें ।
माने जिसे रकात वही माल पाक का ,
खुलने लगा हिजाब चलो लौट घर चलें ।
जो काम है खुदा का बशर हाथ में न लें,
कांटे नहीं गुलाब चलो लौट घर चलें ।
"हलधर" कसा रकाब ज़रा ध्यान से चढ़ो ,
मौसम हुआ खराब चलो लौट घर चलें ।।
हलधर- 9897346173
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